अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी अब एक तरह से विपक्षी एलायंस से बाहर है। कांग्रेस से तो केजरीवाल लड़ ही रहे हैं लेकिन पहले ‘इंडिया’ ब्लॉक के अंदर उनको कुछ प्रादेशिक पार्टियों का जो समर्थन मिलता था वह भी बंद हो गया है। कुछ समय पहले तक ‘इंडिया’ ब्लॉक के भीतर आम आदमी पार्टी को ममता बनर्जी और समाजवादी पार्टी का समर्थन मिलता था। विपक्षी गठबंधन के अंदर एक गठबंधन था, जो दबाव समूह की तरह काम करता था और जिसका मकसद कांग्रेस को कमजोर करना था। लेकिन अब न तो ‘इंडिया’ ब्लॉक राजनीतिक रूप से सक्रिय है और न उसके अंदर का दबाव समूह। लेकिन अभी चार राज्यों की पांच विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस की या तो आम आदमी पार्टी से लड़ाई है या आप और तृणमूल कांग्रेस दोनों कांग्रेस को हरवा रहे हैं। पंजाब में आप और कांग्रेस की सीधी लड़ाई है तो गुजरात में आप और केरल में तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस का रास्ता रोका है।
चार राज्यों की पांच विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो गया है और नतीजे सोमवार यानी 23 जून को आएंगे। इनमें से दो सीटें गुजरात की हैं। गुजरात की एक सीट विसावदर की है, जो पिछले चार चुनाव से भाजपा नहीं जीत पाई है। 2007 से वह इस सीट पर नहीं जीती है। पिछली बार यह सीट आम आदमी पार्टी ने जीती थी। उसके विधायक भूपेंद्र भयानी इस्तीफा देकर भाजपा में चले गए, जिससे इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है। आप ने गुजरात के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया को इस सीट से उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने नितिन रणपरिया और भाजपा ने किरीट पटेल को उतारा है। चार चुनावों के बाद कहा जा रहा है कि यह सीट भाजपा जीत सकती है। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की लड़ाई में भाजपा को फायदा होगा। पहले कई बार यह सीट कांग्रेस जीती है। इसी तरह गुजरात की दूसरी सीट कडी है, जहां पिछली बार भाजपा जीती थी। विधायक के निधन से सीट खाली हुई है। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट भाजपा ने राजेंद्र चावड़ा को टिकट दिया तो आप ने रमेश चावड़ा और कांग्रेस ने जगदीश चावड़ा को उतारा है। यहां भी कांग्रेस और आप की लड़ाई का फायदा भाजपा को होगा। ध्यान रहे 2022 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की वजह से कांग्रेस बहुत बुरी तरह विधानसभा का चुनाव हारी। उसके बाद भी दोनों ने तालमेल की पहल नहीं की।
इसी तरह केरल में प्रतिष्ठा की लड़ाई बनी नीलांबुर सीट पर तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पीवी अनवर निर्दलीय चुनाव लड़े हैं। उन्हीं के इस्तीफे से यह सीट खाली हुई थी। कांग्रेस, सीपीएम और भाजपा तीनों इस सीट पर लड़ रहे हैं और कांग्रेस की ओर से वायनाड की सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा भी प्रचार के लिए पहुंचीं थीं। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए यह बहुत अहम चुनाव है। लेकिन परदे के पीछे से तृणमूल कांग्रेस ने यह सुनिश्चित किया है कि कांग्रेस नहीं जीत सके। उधर पंजाब में तो लुधियाना वेस्ट की सीट पर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच आमने सामने का मुकाबला है। अपने राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा को चुनाव जिताने के लिए अरविंद केजरीवाल ने वहीं पर डेरा डाला था। अरोड़ा जीतेंगे तो एक दिन में पंजाब के मंत्री बनेंगे और इस्तीफा देंगे तो उनकी खाली की हुई सीट पर केजरीवाल राज्यसभा में जाएंगे। वहां परदे के पीछे भाजपा और अकाली दल दोनों की मदद कांग्रेस को मिली है।