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बिहार, झारखंड का प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व

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कांग्रेस के लिए बिहार और झारखंड का कोई खास महत्व नहीं है। हालांकि समूचे हिंदी पट्टी में कांग्रेस ने जो चार-पांच लोकसभा सीटें जीती हैं उनमें से दो इन राज्यों की हैं। बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान को मिला कर कांग्रेस के सिर्फ छह सांसद हैं, जिनमें से एक एक बिहार और झारखंड में भी हैं। लेकिन इन दोनों राज्यों को मल्लिकार्जुन खड़गे की बनाई कार्य समिति में सिर्फ प्रतीकात्मक जगह मिली है। 39 सदस्यों की मुख्य कार्य समिति में बिहार के दो नेताओं को जगह मिली है। एक मीरा कुमार और दूसरे तारिक अनवर। मीरा कुमार लोकसभा की स्पीकर रही हैं, दलित हैं और महिला हैं इसलिए उनको जगह मिली है तो कुछ दिन पहले ही एनसीपी छोड़ कर आए तारिक अनवर को अल्पसंख्यक कोटे से जगह मिली है। ध्यान रहे 39 सदस्यों की कार्य समिति में सिर्फ तीन अल्पसंख्यक सदस्य हैं।

बिहार के कन्हैया कुमार को विशेष आमंत्रित श्रेणी में रखा गया है लेकिन वहां भी उनको जगह इस नाते मिली है कि वे कांग्रेस के अग्रिम संगठन एनएसयूआई के प्रभारी हैं। सो, एक तरह से वे पदेन सदस्य हैं। इससे भी बुरी स्थिति झारखंड की है वहां से एक डॉक्टर अजय कुमार को विशेष आमंत्रित श्रेणी में जगह मिली है। वह भी इस नाते कि वे पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों के प्रभारी हैं। वैसे ध्यान रहे अजय कुमार कर्नाटक के रहने वाले हैं, बिहार-झारखंड काडर में आईपीएस होने की वजह से वहां के माने जा रहे हैं। इस तरह देखें तो झारखंड से किसी भी नेता को कार्य समिति में नहीं रखा गया है। सुबोधकांत सहाय कार्य समिति के लिए स्वाभाविक पसंद हो सकते थे। ध्यान रहे भाजपा ने जेपी नड्डा की टीम में झारखंड से दो नेताओं- रघुवर दास और आशा लाकड़ा को जगह दी है। राज्य से दो लोग केंद्रीय मंत्री हैं एक अनुसूचित जनजाति मोर्चा के अध्यक्ष भी झारखंड के हैं।

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