महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव जैसे जैसे नजदीक आ रहे हैं वैसे वैसे राजनीतिक ध्रुवीकरण तेज हो रहा है। यह साफ दिख रहा है कि उद्धव ठाकरे अपने चचेरे भाई राज ठाकरे से तालमेल करना चाहते हैं। तालमेल की शर्तें क्या होंगी इस पर चर्चा चल रही है। हालांकि ऐसा नहीं है कि राज ठाकरे की पार्टी बहुत बड़ी या लोकप्रिय है। संसद या विधानमंडल या महानगरपालिका कहीं भी उनका एक भी सदस्य नहीं है। फिर भी उद्धव को लग रहा है कि ठाकरे परिवार के एक होने से मुंबई की जनता में एक मैसेज जाएगा और परिवार वापस मुंबई पर अपना कब्जा बरकरार रखने में कामयाब होगा। पार्टी टूटने के बाद मतदाताओं की धारणा को प्रभावित करने के लिए उद्धव को ऐसे किसी तालमेल की जरुरत है।
लेकिन ऐसा लग रहा है कि भाजपा और उसके सहयोगी सक्रिय हो गए हैं कि किसी तरह से राज ठाकरे को उद्धव के साथ जाने से रोका जाए। पिछले दिनों तालमेल का संकेत सामने आने के बाद अचानक मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने राज ठाकरे से मुलाकात की थी। मुंबई के बांद्रा स्थित ताज लैंड्स एंड होटल में यह मुलाकात हुई थी। उसके बाद उद्धव ने कहा है कि एकनाथ शिंदे और भाजपा दोनों मिल कर ठाकरे परिवार को एक होने से रोक रहे हैं। ध्यान रहे बीएमसी का चुनाव उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी को संजीवनी दे सकता है। शिव सेना की असली ताकत उसके सांसद या विधायक नहीं, बल्कि मुंबई के पार्षद होते हैं। इसलिए उद्धव ने ठाकरे परिवार की एकता को मराठी एकता का नाम दिया है और भाजपा पर आरोप लगाया है कि वह मराठी एकता नहीं बनने दे रही है। उद्धव ठाकरे की राजनीति पर दोनों सहयोगी पार्टियों कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी की भी नजर है। पवार ने कहा है कि महाविकास अघाड़ी मिल कर स्थानीय निकाय का चुनाव लड़ेगा।