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भाजपा जैसी राजनीति कर रही हैं ममता

पश्चिम बंगाल

पश्चिम बंगाल

पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और उससे पहले ममता बनर्जी को इस तरह की राजनीति करनी है, जिससे उनकी पार्टी लगातार चौथी बार जीत हासिल कर सके। इसके लिए वे भाजपा का ही हिंदुत्व का दांव आजमा रही हैं और भाजपा के लोग परेशान हो रहे हैं। जगन्नाथ रथयात्रा के मौके पर सरकारी एजेंसी को प्रसाद बांटने का काम दिया गया है और विडम्बना देखिए कि भाजपा इसका विरोध कर रही है। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को ममता बनर्जी ने बड़ा झटका दिया। इससे उनका मनोबल बढ़ा हुआ है। दूसरी ओर भाजपा के अंदर खींचतान बढ़ गई है। भाजपा के कई नेता पार्टी छोड़ चुके हैं और कई नेता आने वाले दिनों में पार्टी छोड़ेंगे। तृणमूल से लाकर प्रदेश में भाजपा के सर्वोच्च नेता बनाए गए शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ भाजपा के पुराने नेताओं ने मोर्चा खोला है। इस टकराव में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नहीं तय कर पा रही है। केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार एक साल से दोहरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। इस बीच ममता बनर्जी ने भाजपा को उसी के दांव से मात देने की तैयारी की है।

असल में ममता बनर्जी एक तीर से दो शिकार करना चाह रही हैं। उनको अपने ऊपर लग रहे मुस्लिमपरस्ती और हिंदू विरोधी होने के आरोपों को खत्म करना है और दूसरा भाजपा के पक्ष में हिंदू ध्रुवीकरण को रोकना है। इसके लिए उन्होंने दीघा में नए बने जगन्नाथ मंदिर को हथियार बनाया है। ओडिशा के जगन्नाथपुरी के दम पर दीघा में भगवान जगन्नाथ का मंदिर बना है। ममता बनर्जी ने इसका उद्घाटन किया, जिसमें भाजपा के वरिष्ठ नेता दिलीप घोष शामिल हुए। बाद में इस मंदिर को जगन्नाथ धाम कहने पर विवाद शुरू हुआ। पुरी मंदिर के पुजारियों और ओडिशा के लोगों ने विरोध किया कि धाम सिर्फ जगन्नाथपुरी को ही कहा जा सकता है। हालांकि ममता बनर्जी पर इसका कोई असर नहीं हुआ। मां काली के साथ साथ ममता भगवान जगन्नाथ के नाम से भी बंगाली अस्मिता का दांव खेल रही हैं। ध्यान रहे बंगाल और पूर्वोत्तर के अनेक राज्यों में चैतन्य महाप्रभु की वजह से जगन्नाथ रूप में भगवान कृष्ण की पूजा होती है। श्रीराम बनाम मां काली और अब श्रीराम बनाम कृष्ण का दांव है।

इतना ही नहीं ममता बनर्जी ने जगन्नाथ मंदिर बनने के बाद पहली रथयात्रा के मौके पर प्रदेश के सभी नागरिकों को भगवान जगन्नाथ का प्रसाद पहुंचाने का फैसला किया है। इस काम के लिए हाउसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन यानी हिडको को कहा गया है। सरकार ने इसके लिए 42 करोड़ रुपए के फंड की मंजूरी दी है। विडम्बना यह है कि भारतीय जनता पार्टी इसका विरोध कर रही है। भाजपा ने कहा कि सरकार की इस ईकाई का काम बुनियादी ढांचे का विकास करना है उसको प्रसाद बांटने के काम में लगाया जा रहा है। सोचें, अब तक भाजपा की सरकारें हिंदू धर्म को प्रमोट करने के लिए सरकारी फंड का इस्तेमाल करती रही हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने ऐलान किया कि कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने वालों को सरकार एक एक लाख रुपए देगी। लगभग सभी भाजपा शासित राज्यों में सरकारी फंड से मंदिरों का निर्माण या जीर्णोद्धार कराया गया है। लेकिन पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के मौके पर राज्य के लोगों को प्रसाद पहुंचाना चाहती है तो भाजपा को दिक्कत है! असल में यह भाजपा की बेचैनी है। उसको लग रहा है कि ममता इससे हिंदुओं की नाराजगी दूर कर लेंगी और फिर उनको हराना मुश्किल हो जाएगा।

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