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जदयू की ओर से दबाव की राजनीति

केंद्र की भाजपा सरकार को समर्थन दे रही पार्टियों की ओर से दबाव की राजनीति होगी, इसका अंदाजा पहले से था। 16 लोकसभा सांसदों वाली तेलुगू देशम पार्टी के नेता चंद्रबाबू नायडू अपने हिसाब से सरकार को दबाव में रखने का प्रयास करेंगे, इसका भी अंदाजा था। लेकिन नीतीश कुमार की पार्टी की ओर से दबाव की राजनीति की शुरुआत होगी, इसका अंदाजा नहीं था। सबसे पहले नीतीश की पार्टी के महासचिव केसी त्यागी ने सेना में भर्ती की अग्निवीर योजना को लेकर सवाल उठाया और कहा कि इस पर विचार होना चाहिए। उन्होंने समान नागरिक संहिता पर भी आम सहमति की बात कही। बाद में हालांकि उन्होंने इस पर एक स्पष्टीकरण भी दिया कि वे उसी लाइन पर बात कर रहे थे, जिस लाइन पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पहले बात की हुई है।

जनता दल यू की ओर से दबाव की राजनीति इसके बाद भी जारी रही। केसी त्यागी ने प्रधानमंत्री मोदी के शपथ समारोह से एक दिन पहले बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि जो लोग नीतीश कुमार को ‘इंडिया’ ब्लॉक का संयोजक बना कर राजी नहीं थे वे अब प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव दे रहे हैं। हालांकि कांग्रेस की ओर से तत्काल इसका खंडन किया गया और कहा गया कि किसी ने नीतीश को प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव नहीं दिया है। अब सवाल है कि केसी त्यागी ने यह बात कैसे कही? क्या वे बता सकते हैं कि कांग्रेस या किसी दूसरी विपक्षी पार्टी के किस नेता ने नीतीश कुमार को यह प्रस्ताव दिया था? ऐसा लग रहा है कि पार्टी की ओर से भाजपा को दबाव में लाने के लिए यह बयान दिया गया। इसका मकसद भाजपा को यह बताना है कि नीतीश के दरवाजे दूसरी तरफ भी खुले हैं। भले टीडीपी के लिए ‘इंडिया’ ब्लॉक में जाना मुश्किल हो लेकिन नीतीश के लिए यह संभव है। आने वाले दिनों में ‘इंडिया’ ब्लॉक की ओर से प्रस्ताव दिए जाने का भय दिखाने का क्रम जारी रहेगा।

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