बिहार में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर की तारीख बढ़ाने के लिए बिहार की विपक्षी पार्टियां अब सुप्रीम कोर्ट पहुंची हैं। एसआईआर की प्रक्रिया 24 जून से चल रही है और जुलाई के आखिरी हफ्ते में इसका पहला चरण पूरा हुआ। चुनाव आयोग ने मसौदा मतदाता सूची जारी कर दी और एक अगस्त से दावे व आपत्तियां लेनी शुरू कर दीं। लेकिन किसी राजनीतिक दल ने इस पर ध्यान नहीं दिया। सब इसके विरोध में आंदोलन करने में लगे रहे। पिछले दिनों सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को फटकार लगाई और कहा कि अगर पार्टियों को लग रहा है कि बहुत से लोगों का नाम गलत तरीके से कट गया है तो वे क्यों नहीं आपत्ति दर्ज करा रहे हैं? सर्वोच्च अदालत ने यह भी पूछा कि जब राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट्स की संख्या एक लाख से ज्यादा है तो उनको आपत्ति दर्ज कराने में क्या समस्या है?
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद पार्टियां सक्रिय हुईं लेकिन अब भी पार्टियों की ओर से दो सौ से ज्यादा आपत्ति दर्ज नहीं कराई गई है। निजी तौर पर लोगों ने 80 हजार से ज्यादा आपत्ति दर्ज कराई है। आपत्ति दर्ज कराने की आखिरी तरीख 31 अगस्त है। इससे तीन दिन पहले पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि आपत्ति दर्ज कराने की तारीख बढ़ा कर 15 सितंबर किया जाए। पहले तो पार्टियां चुपचाप बैठी रहीं और जब समय सीमा समाप्त होने लगी तो तारीख बढ़वाने की अपील कर दी। पता नहीं विपक्षी पार्टियों को इससे क्या हासिल होगा? क्या पार्टियां चाहती हैं कि 30 सितंबर तक मतदाता सूची जारी नहीं हो और चुनाव की तारीख आगे बढ़े?
