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बिहार में राजद का फिर अति पिछड़ा दांव

तेजस्वी यादव

Patna, Apr 05 (ANI): LoP in Bihar Assembly and Rashtriya Janata Dal leader Tejashwi Yadav addresses a press conference, at party office in Patna on Saturday. (ANI Photo)

विधानसभा चुनाव से पहले सभी पार्टियां जातीय समीकरण साधने में लगी हैं। सबकी नजर अति पिछड़ा वोट पर है, जिसकी आबादी जाति गणना में 36 फीसदी बताई गई है। बिहार में पिछड़ी जातियों की आबादी 27 फीसदी है और अति पिछ़डे 36 फीसदी हैं। पिछड़ों में सबसे ज्यादा 14 फीसदी यादव हैं, जो राजद के साथ हैं और उसके बाद कोईरी, कुर्मी व धानुक का करीब 10 फीसदी का समूह है, जो एनडीए के साथ है। अति पिछड़ी जातियों की स्वाभाविक पसंद भाजपा है। उसके बाद नीतीश कुमार की जदयू का नंबर आता है। राजद को बहुत कम अति पिछड़ा वोट मिलता है क्योंकि अति पिछड़ी जातियों का सामाजिक स्तर पर यादवों के साथ टकराव रहता है। इस बार राजद की ओर से अति पिछड़ा वोट में सेंध लगाने के कई प्रयास किए जा रहे हैं।

इसी प्रयास के तहत राजद ने राजपूत समाज के नेता और प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह की जगह अति पिछड़ा समाज के मंगनीलाल मंडल को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का फैसला किया है। मंगनीलाल मंडल कुछ दिन पहले ही राजद में लौटे हैं। मंडल के अलावा राजद ने मल्लाह समाज के मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी से भी तालमेल किया है। मुकेश सहनी का दावा है कि मल्लाहों की सभी उपजातियों को मिला कर साढ़े नौ फीसदी वोट है। बहरहाल, यह दूसरी बार है, जब राजद ने अति पिछड़ा अध्यक्ष बनाया है। जगदानंद सिंह से पहले बरसों तक रामचंद्र पूर्वे राजद के प्रदेश अध्यक्ष थे। वे भी अति पिछड़ा समाज के थे लेकिन उनके होन से ईबीसी वोट ट्रांसफर नहीं हुआ। मंगनीलाल मंडल अपेक्षाकृत बड़े नेता हैं और अस्मिता की राजनीति के मौजूदा दौर में वे ज्यादा काम आ सकते हैं।

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