Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

संविधान बचाओ बनाम संविधान हत्या दिवस

इस साल इमरजेंसी के 50 साल हुए हैं। इस मौके पर एक नया जुमला सुनने को मिला, ‘संविधान हत्या दिवस’! पहले इमरजेंसी की बरसी को लोकतंत्र के लिए काला दिन कहा जाता था। कहीं कहीं संविधान पर हमले की बात सुनाई देती थी। कांग्रेस की तत्कालीन सरकार की ज्यादतियों की कहानियां दोहराई जाती थीं। लेकिन इस बार ‘संविधान हत्या दिवस’ का जुमला ज्यादा सुनाई दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कई बार यह जुमला दोहराया। भाजपा ने इमरजेंसी के 50 साल के मौके पर जिलों मॉक पार्लियामेंट लगाई और लोगों को इसके बारे में बताया। पहले कहा जा रहा था कि सरकार संसद का विशेष सत्र भी बुला सकती है। लेकिन कांग्रेस ने उसको पहलगाम कांड और ऑपरेशन सिंदूर से जोड़ दिया तो सरकार पीछे हट गई। उसे लगा कि अगर विशेष सत्र बुलाएंगे तो इन मुद्दों पर भी चर्चा की मांग उठेगी और अगर चर्चा नहीं होने दिया तो इमरजेंसी का नैरेटिव प्रभावित होगा।

बहरहाल, सवाल है कि इस साल ‘संविधान हत्या दिवस’ का जुमला क्यों बोला गया? इसका कारण कांग्रेस का संविधान बचाओ अभियान है। गौरतलब है कि पिछले साल के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने संविधान बचाओ अभियान शुरू किया। वे हर जगह अपने हाथ में संविधान लेकर जाते हैं और जनसभा करते हैं। कांग्रेस के अभियान को ‘जय बापू, जय भीम, जय संविधान’ का नाम दिया गया है। इस नाम से जनसभा होती है और कांग्रेस व दूसरी विपक्षी पार्टियां दलित, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों को इस नाम पर एकजुट कर रही हैं। कांग्रेस और विपक्ष के इस अभियान को पंक्चर करने के लिए ‘संविधान हत्या दिवस’ का हल्ला मचाया जा रहा है। देश के लोगों को समझाया जा रहा है कि कांग्रेस ने संविधान की हत्या की थी और अब वह संविधान बचाने का ड्राम कर रही है। इससे कांग्रेस के साथ साथ उन पार्टियों की साख पर भी सवाल उठाया जा रहा है, जो इमरजेंसी के साथ कांग्रेस के खिलाफ थीं और जिनके नेताओं ने सरकार की ज्यादतियां झेली थीं।

Exit mobile version