तब अनुशासन पर्व में काम
देश में घोषित इमरजेंसी बनाम अघोषित इमरजेंसी की बहस है। इमरजेंसी के 50 साल पूरे हुए तो नरेंद्र मोदी ने इसे एक मौके की तरह लपका। और उसके आयोजनों से दिखाया कि उनके नेतृत्व में लोकतंत्र फलफूल रहा है। उन्होने इमरजेंसी के लिए ‘संविधान हत्या दिवस’ का जुमला बोला। उधर संभवतः पहली बार कांग्रेस अध्यक्ष ने इमरजेंसी की बरसी के दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कांग्रेस को यह ताकत इसलिए मिली है क्योंकि इमरजेंसी की ज्यादतियां झेलने वाले आरएसएस व तब की जनसंघ के कुछ लोगों को छोड़ दें तो ज्यादातर लोग आज भाजपा विरोध की मजबूरी में कांग्रेस के साथ...