सर्वजन पेंशन योजना
वरिष्ठ पत्रकार। जनसत्ता, हिंदी इंडिया टूडे आदि के लंबे पत्रकारिता अनुभव के बाद फिलहाल एक साप्ताहित पत्रिका का संपादन और लेखन।
  • फ़िल्में भी लड़ेंगी चुनाव!

    देश में अगले कई महीने अब लगातार चुनावों का सीज़न रहने वाला है। राजनीति और माहौल में गर्मी और बढ़ने वाली है। कई फिल्में तो शायद सोच-समझ कर इसी अवधि के लिए बनाई जा रही हैं ताकि थिएटर के भीतर की भावनाएं बाहर के माहौल से होड़ ले सके। रणदीप हुड्डा 'स्वातंत्र्य वीर सावरकर' लेकर आने वाले हैं और उसके टीज़र से ही विवाद शुरू हो गए हैं। रणदीप इसमें खुद सावरकर बने हैं। उन्होंने खुद ही निर्देशन भी दिया है और आनंद पंडित व संदीप सिंह के साथ इसके सह निर्माता भी हैं। परदे से उलझती ज़िंदगी बहुत कुछ...

  • करिश्मा तन्ना के जीवन का ‘स्कूप’

    वे सन 2002 से टीवी सीरियलों और फिर फिल्मों में काम कर रही हैं। कहने को ‘संजू’ में उन्होंने बेहतर काम किया था, लेकिन उसके बाद फिर कई साल तक उन्हें स्तरीय काम नहीं मिला। आखिरकार अब हंसल मेहता ने उन्हें ‘स्कूप’ में एक प्रभावशाली भूमिका दी है। यह वेब सीरीज़ जिग्ना वोरा की आत्मकथात्मक किताब ‘बिहाइंड द बार्स इन भायखला: माइ डेज़ इन प्रिज़न’ पर आधारित है। करिश्मा तन्ना इसमें एक महत्वाकांक्षी क्राइम रिपोर्टर बनी हैं जो कि खुद एक हत्या की संदिग्ध बन जाती है। करिश्मा इसे अपने करियर की सर्वोत्तम भूमिका मानती हैं। हंसल मेहता की पिछली...

  • आर्टीफ़ीशियल इंटेलीजेंस वाला विलेन

    दुनिया भर में सरकारें, वैज्ञानिक, शिक्षाविद और आईटी विशेषज्ञ आर्टीफ़ीशियल इंटेलीजेंस का विरोध कर रहे हैं। वैसे उन कंपनियों का प्रतिशत बहुत ज़्यादा है जो आर्टीफ़ीशियल इंटेलीजेंस का उपयोग कर रही हैं। मगर ये विशेषज्ञ इसे स्वाभाविक मानव विकास की राह में एक विलेन की तरह देखते हैं। अगले साल रिलीज़ होने वाली एक फिल्म में हम सचमुच आर्टीफ़ीशियल इंटेलीजेंस को विलेन का हथियार बनते देखने वाले हैं। वाशु और जैकी भगनानी की पूजा एंटरटेनमेंट और अली अब्बास ज़फ़र की ‘बड़े मियां छोटे मियां’ में मलयाली सुपरस्टार पृथ्वीराज सुकुमारन को विलेन की भूमिका मिली है। वे फिल्म में ऐसे वैज्ञानिक...

  • कपिल जैसा कोई नहीं

    कपिल शर्मा को ही उनके शो की पूछ का मुख्य श्रेय है। सोनी टीवी ने भरोसा किया और कपिल उस पर खरे उतरे। कपिल के पिता पंजाब पुलिस में हेड-कांस्टेबल थे। एक पीसीओ में नौकरी और गाने व नाटकों से कपिल की शुरूआत हुई। पहले चंडीगढ़ में शो किए, फिर मुंबई पहुंचे। वे ज़बरदस्त कॉपटीशन से निकल कर आए हैं क्योंकि पंजाब में स्टैंडअप कॉमेडियन, मिमिक्री आर्टिस्ट और गायक हर दूसरे मोहल्ले में मौजूद हैं। मगर लॉफ़्टर चैलेंज ने उन्हें ऐसी मज़बूती दी कि ‘कपिल शर्मा शो’ में कितने ही दूसरे कलाकार आए और गए, पर इस शो की लोकप्रियता...

  • ओटीटी से महिला भूमिकाओं में सुधार

    ‘द एलीफ़ेंट व्हिस्परर्स’ की जीत से पहले भी गुनीत मोंगा की कम से कम एक डॉक्यूमेंट्री ऑस्कर के लिए नॉमिनेट हो चुकी थी। इसका मतलब यह नहीं है कि वे लोकप्रिय सिनेमा में दखल नहीं रखतीं। पहले भी वे कई फिल्में बना चुकी हैं और अब बालाजी फिल्म्स के साथ उनकी बनाई ‘कटहल’ नेटफ़्लिक्स पर आई है। यशोवर्धन मिश्रा के निर्देशन की इस फिल्म में सान्या मल्होत्रा एक पुलिस अधिकारी बनी हैं जो अपने इलाके के विधायक के यहां से कटहल की चोरी जैसी वारदात की छानबीन करती हैं। जांच के दौरान उन्हें ऐसा कुछ मिल जाता है कि इस...

  • ‘जोड़ी’ वही जो बाद में भी याद रहे

    दिलजीत दोसांझ कमाल के अभिनेता हैं। पहला कमाल तो यह कि पंजाबी फिल्मों में सुपरस्टार की हैसियत रखने वाले दिलजीत की हिंदी सिनेमा में भी एक पहचान बन चुकी है। ‘उड़ता पंजाब’, ‘सूरज पे मंगल भारी’ और ‘गुड न्यूज़’ जैसी कई हिंदी फिल्मों में वे प्रभावी भूमिकाएं कर चुके हैं और जल्दी ही ‘द क्र्यू’ में करीना कपूर, कृति सैनन और तब्बू के साथ नज़र आने वाले हैं। मगर फिलहाल उनकी पंजाबी फिल्म ‘जोड़ी’ का जलवा चल रहा हैं। अंबरदीप सिंह के निर्देशन वाली यह फिल्म दो हफ्ते में पच्चीस करोड़ से ऊपर कमा चुकी है, जबकि इसकी लागत केवल...

  • साहिर के गीतों का विस्तार

    छत्तीसगढ़ के रायगढ़ के रहने वाले अजय आईआरएस यानी भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी हैं।उन्होंने ‘अल्फ़ाज़ और आवाज़’ नाम का एक ग्रुप बनाया है जो साहिर लुधियानवी के उन गीतों को विस्तार दे रहा है जिन्होंने हमारी कम से कम तीन पीढ़ियों को प्रेम, उम्मीद और सपनों का आसरा दिया। मुझे नहीं लगता कि देश में कहीं कोई और भी यह काम कर रहा है। साहिर लुधियानवी के दर्जनों गीतों और नज़्मों में अजय सहाब इसी तरह कुछ नया जोड़ चुके हैं। परदे से उलझती ज़िंदगी हिंदी फिल्मों के गीतकार और शायर साहिर लुधियानवी ने शादी नहीं की थी। मुंबई...

  • ‘द केरला स्टोरी’ की उपयोगिता

    फिल्मकार, समीक्षक और दर्शक, सब बंट गए हैं। विचारधारात्मक विभाजन हर जमात को बांट रहा है। सिनेमा उद्योग के बंटने की प्रक्रिया अगर हमारे सामने है तो फिल्म समीक्षक भी बंट चुके हैं। कितने ही समीक्षकों ने इस फिल्म को एक एजेंडा फिल्म या प्रोपैगेंडा फिल्म करार दिया है। जवाब में दूसरे समीक्षकों ने कहा कि यह फिल्म ऐसी वास्तविकता के दर्शन कराती है कि आपके रोंगटे खड़े हो जाएं। परदे से उलझती ज़िंदगी केरल हाईकोर्ट ने ‘द केरला स्टोरी’ के प्रदर्शन पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया। अगर आप अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्षधर हैं तो फिर किसी...

  • बदलते माहौल में ढलती फ़िल्में

    देश और समाज में जब भी बड़े बदलाव का दौर आता है तो वह फिल्मों के विषयों को भी बदल डालता है या उन्हें नियंत्रित करने लगता है। अब भी कर रहा है। इसीलिए ‘खोसला का घोंसला’, ‘शंघाई’, ‘तितली’ और ‘संदीप और पिंकी फरार’ आदि फिल्में बना चुके दिबाकर बनर्जी की फिल्म ‘तीस’ रिलीज़ नहीं हो पा रही। यह उन्होंने नेटफ़्लिक्स के भरोसे बनाई थी, लेकिन जब फिल्म पूरी हो गई तो उसने हाथ पीछे खींच लिए। इस ओटीटी प्लेटफॉर्म की हिचक का कारण है देश का मौजूदा माहौल। परदे से उलझती ज़िंदगी ‘सब काल्पनिक है’ के दावे वाले डिस्क्लेमर...

  • केरल की एक अलग स्टोरी

    यानी अब माहौल बिलकुल अलग है। केरल की फिल्मों अथवा मलयालम फिल्मों को बेहतरीन कहानियों के लिए जाना जाता है। पिछले कई सालों से देश में किसी भी भाषा की फिल्मों के मुकाबले मलयालम सिनेमा में सबसे अच्छी कहानियां आई हैं, ठीक जैसे कभी बांग्ला फिल्मों में हुआ करती थीं। लेकिन अब एक फिल्म को लेकर वहां विवाद छिड़ गया है। फिल्मकार विपुल शाह ने सुदीप्तो सेन के निर्देशन में ‘द केरला स्टोरी’ नाम की एक फिल्म बनाई है। इसमें बताया गया है कि केरल से बत्तीस हजार महिलाएं अचानक गायब हो जाती हैं क्योंकि उन्हें बरगला कर, उनका धर्म...

  • बदले-बदले से पुरस्कार समारोह

    जो कुछ भी घट रहा है उससे फिल्म पुरस्कार समारोह भी कैसे बचे रह सकते हैं। इस बार के फिल्मफेयर पुरस्कारों में ‘द कश्मीर फाइल्स’ के कोई भी पुरस्कार नहीं जीतने पर अभिनेता अनुपम खेर ने ट्वीट किया कि ‘इज्जत एक महंगा तोहफा है, इसकी उम्मीद सस्ते लोगों से न रखें’।‘ असल में ‘कश्मीर फ़ाइल्स’ सात श्रेणियों में नॉमिनेट हुई थी और उसे एक भी पुरस्कार नहीं मिला। खुद अनुपम खेर इसके लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए नॉमिनेट हुए थे। मगर यह पुरस्कार ‘बधाई दो’ के लिए राजकुमार राव को मिला। ‘कश्मीर फ़ाइल्स’ के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने तो एक...

  • अधोगति की ओर भाईजान

    बॉक्सिंग और राजनीति दोनों में सक्रिय विजेंदर सिंह कहते हैं कि जब सलमान खान ने फोन करके मुझे इस फिल्म में रोल देने की पेशकश की थी उस समय मैं मानचेस्टर में प्रेक्टिस कर रहा था। सलमान भाई की आवाज़ सुन कर ही मैं तो हकबका गया। मैंने यह भी नहीं पूछा कि रोल क्या है, और तुरंत हां कर दी। फिर आठ महीने बाद मैं उनसे मिला तो पूरी यूनिट के साथ उन्होंने मेरा जन्मदिन मनाया और काम शुरू हुआ। वह फिल्म ‘किसी का भाई किसी की जान’ रिलीज़ हो चुकी है और अब विजेंदर सोचते होंगे कि अच्छा...

  • साडा चिड़ियां दा चंबा वे

    सलमान खान ने ‘किसी का भाई किसी की जान’ की रिलीज से एक दिन पहले अपने तमाम करीबियों और बड़े स्टारों के लिए इसकी जो स्पेशल स्क्रीनिंग रखी थी, वह पामेला चोपड़ा के निधन की खबर सुन कर रद्द कर दी गई। पामेला दिग्गज फिल्मकार यश चोपड़ा की पत्नी थीं और आज के बड़े फिल्मकार आदित्य चोपड़ा की मां थीं। लेकिन केवल यही वजह नहीं थी कि हिंदी फिल्मों के ज्यादातर लोग उन्हें इज्जत देते थे। वे भरतनाट्यम की प्रशिक्षित डांसर थीं। वे लेखिका भी थीं। ‘दिल तो पागल है’ का स्क्रीनप्ले लिखने में वे शामिल रहीं। ‘कभी कभी’ की...

  • बिच्छुओं के डंक और उनके गीत

    राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके की एक आदिवासी लड़की अपनी दादी से अपनी पारंपरिक बिच्छू गायन की कला सीख रही है। किसी को यदि बिच्छू ने काट लिया है तो यह बिच्छू गायन उसका इलाज है। छह साल पुरानी फिल्म ‘द सॉन्ग ऑफ स्कॉर्पियन्स’ जो अब रिलीज हो रही है, वह इसी बिच्छू गायन पर आधारित है। अगस्त 2017 में स्विट्जरलैंड के लोकार्नो फिल्म फेस्टिवल में इसका प्रीमियर हुआ और इसे बहुत पसंद किया गया। लेकिन किन्हीं वजहों से इसका रिलीज़ होना टलता रहा। इसकी खूबी यह है कि दिवंगत इरफ़ान खान आखिरी बार इसमें परदे पर दिखेंगे। ईरानी मूल की...

  • आउटसाइडर बनाम इनसाइडर

    अगर कोई यह शिकायत करता है कि इतने वक्त से उसे कोई काम नहीं दे रहा तो पहला सवाल तो यह उठता है कि आखिर वह कौन सी दुनिया में जी रहा है? क्या फिल्मों के अलावा दूसरे क्षेत्रों में सभी प्रशिक्षित और लायक लोगों को काम मिल रहा है? और वह कौन सा क्षेत्र है जहां आपको काम मिले और इस बात की गारंटी भी रहे कि लगातार काम मिलता रहेगा? क्या फिल्म वालों को पता है कि बेरोज़गारी का क्या आलम है?  परदे से उलझती ज़िंदगी यह विवाद अब काफी मुखर हो चुका है। इसके एक छोर पर...

  • कौन अपना कौन पराया ?

    आगामी इनसाइडरों की सूची देखिए। मिठुन चक्रवर्ती के बेटे नमाशी की पहली फिल्म ‘बैड ब्वॉय’ इसी महीने रिलीज़ होने वाली है। इसका निर्देशन राजकुमार संतोषी ने किया है जो खुद अपनी बेटी तनीषा को ‘गांधी गोडसे, एक युद्ध’ में पेश कर चुके हैं। मगर इस मामले में सबसे दिलचस्प जावेद अख्तर की बेटी जोया अख्तर के निर्देशन में बनने वाली फिल्म 'द आर्चीज' है क्योंकि इसमें शाहरुख खान की बेटी सुहाना खान आने वाली हैं। इसी फिल्म में बोनी कपूर की दूसरी बेटी खुशी कपूर और अमिताभ बच्चन के नाती यानी श्वेता बच्चन और निखिल नंदा के बेटे अगस्त्य नंदा...

  • पुराने और नए दर्शकों का फ़र्क

    ‘पठान’ के बारे में आप नौजवानों से बात करके देखिए। एक लड़के का कहना था, ‘अरे सर क्या एक्शन है। शाहरुख ऐसा तो कभी था ही नहीं। जॉन अब्राहम पर भी भारी। एक्शन, डांस, म्यूज़िक, सब इतना मस्त।‘ इस लड़के के लिए मानो एक्शन ही अभिनय था। जितना तेज एक्शन, उतना ही अच्छा अभिनय। इस हिसाब से तो ‘पठान’ बेहतर अभिनय की पराकाष्ठा हुई। विदेशों में भी जिन लोगों ने ‘पठान’ को हिंदी की अब तक की सर्वाधिक कमाई वाली फिल्म बना दिया उनमें भी युवा ज्यादा हैं। पाकिस्तानी अभिनेत्री माहिरा खान से एक इंटरव्यू में पूछा गया कि आपकी...

  • फ़िल्मों के यादगार दौर की फ़िल्म

    ‘सभी चरित्र और घटनाएं काल्पनिक हैं’ वाले डिस्क्लेमर के बावजूद प्राइम वीडियो पर शुरू हुई वेब सीरीज़ ‘जुबली’ में श्रीकांत राय बने प्रोसेनजीत और सुमित्रा कुमारी बनीं अदिति राव हैदरी उन्हीं वास्तविक पात्रों का आभास देते हैं। दोनों का व्यक्तित्व वैसा ही बनाया गया है और देविका की तरह सुमित्रा अपने पति की फिल्म के हीरो जमशेद खान के साथ भाग भी जाती हैं। वेब सीरीज़ में बॉम्बे टॉकीज़ की जगह स्टूडियो का नाम रॉय टॉकीज़ है और घटनाक्रम का समय भी बदल कर आजादी से कुछ महीने पहले का बताया गया है जबकि मूल घटनाएं इससे एक दशक पहले...

  • अब सबको चाहिए एक्शन

    हैरानी की बात है कि क्षेत्रीय और खास कर मलयाली सिनेमा को अच्छी कहानियां मिल जाती हैं और अपना बॉलीवुड अच्छी कहानियों के अकाल से जूझ रहा है। विक्रमादित्य मोटवानी ने तो इसे साफ-साफ स्वीकार भी कर लिया। शायद इसीलिए हिंदी फिल्मों के स्वर्णकाल में परदे के पीछे चल रही घटनाओं पर वेब सीरीज़ बनाने के लिए वे आकर्षित हुए। लेकिन हमारे सिनेमा जगत में परदे के पीछे आज जो कुछ घट रहा होगा, क्या वह उससे कम दिलचस्प होगा? बहरहाल, अच्छी कहानियों की गैरमौजूदगी में बॉलीवुड को ‘पठान’ की कामयाबी ने एक दूसरा रास्ता दिखा दिया है। अब बहुत...

  • हीरो की माफ़ी, फ़िल्मकार की माफ़ी

    अक्षय कुमार ने एक बार ट्विटर पर अपने प्रशंसकों से इस बात के लिए माफी मांगी थी कि उन्होंने एक पान मसाले का विज्ञापन किया। अक्षय को वैसे भी फिटनेस का आइकॉन माना जाता है, इसलिए उनके प्रशंसकों को इस विज्ञापन में उनकी एंट्री रास नहीं आई थी। फिर जब अक्षय की लगातार पांचवीं फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो गई तब भी उनकी मुद्रा माफी मांगने वाली ही थी। यह फिल्म थी ‘सेल्फ़ी’ जिसमें वे नायक भी थे और उसके सह-निर्माता भी थे। पिछले साल 'सम्राट पृथ्वीराज' के असफल रहने की जिम्मेदारी उसके निर्देशक चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने अक्षय कुमार...

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