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कांग्रेस और राजद की अलग अलग यात्रा

मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर के खिलाफ कांग्रेस और राजद की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ समाप्त होने के तुरंत बाद राजद नेता तेजस्वी यादव ने ‘बिहार अधिकार यात्रा’ शुरू कर दी गई। पहले कहा गया कि पहली यात्रा बिहार के जिन जिलों में नहीं गई वहां यह यात्रा निकाली जाएगी। लेकिन अगर ऐसा है तो फिर इस यात्रा का अलग नाम रखने की क्या जरुरत थी? पहली यात्रा के नाम से ही यह यात्रा हो सकती थी और तेजस्वी के साथ कांग्रेस के नेता भी इसमें शामिल हो सकते थे। लेकिन यह यात्रा राजद ने अकेले निकाली है। कांग्रेस का कोई नेता इसमें शामिल नहीं हो रहा है। कांग्रेस ने अपनी अलग यात्रा निकालने का ऐलान किया है। कांग्रेस ने ‘हर घर अधिकार यात्रा’ की घोषणा की है। बताया जा रहा है कि उसमें राजद के लोग शामिल नहीं होंगे। बिहार में जिन सीटों पर कांग्रेस के लड़ने की संभावना है उन्हीं सीटों पर कांग्रेस की यह यात्रा सघन रूप से चलेगी। इसमें राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल हो सकते हैं।

अब सवाल है कि दोनों पार्टियां क्यों अलग अलग शक्ति प्रदर्शन कर रही हैं? इसका कारण यह है कि दोनों पार्टियां सीट बंटवारे में अपनी पोजिशन से पीछे नहीं हटना चाह रही हैं। कांग्रेस पिछली बार लड़ी 70 सीटों में से ज्यादा सीटें छोड़ने को तैयार नहीं है। कांग्रेस के नेता दो चार सीटें छोड़ने की संभावना जता रहे हैं, जबकि अगर कांग्रेस ने 15 से कम सीटें छोडीं तो सीट बंटवारा मुश्किल हो जाएगा। दूसरी ओर राजद को अपनी सबसे ऊपर की पोजिशन बनाए रखने के लिए 140 सीटें लड़ने की जरुरत है। पिछली बार राजद 144 सीटों पर लड़ी थी। अगर कांग्रेस 15 सीट छोड़ दे तो मुकेश सहनी को उतनी सीटें देकर एडजस्ट किया जा सकेगा और सीपीआई एमएल की सीटें कुछ बढाई जा सकेंगी। कांग्रेस को यह भी लग रहा है कि इस बार वह अपनी खोई हुई जमीन वापस हासिल करने की दिशा में कदम बढ़ा सकती है। इस खींचतान में अभी तक सीटों का बंटवारा अटका है और दोनों पार्टियां अलग अलग यात्रा कर रही हैं।

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