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रामदॉस पिता-पुत्र के ड्रामे का क्या होगा?

तमिलनाडु में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पट्टाली मक्कल काटची यानी पीएमके के संस्थापक एस रामदॉस और उनके बेटे अंबुमणि रामदॉस में संघर्ष चल रहा है। एस रामदॉस ने बेटे को अध्यक्ष पद से हटा दिया है और खुद अध्यक्ष बन गए हैं। हालांकि पार्टी अब भी अंबुमणि रामदॉस के पीछे खड़ी है। पिता के बुलाने पर पार्टी के ज्यादातर नेता गैरहाजिर हो जा रहे हैं और बेटे के साथ अपनी एकजुटता दिखा रहे हैं। तभी किसी को इस ड्रामे का मकसद समझ में नहीं आ रहा है। अब रामदॉस सीनियर ने कहा है कि उन्होंने 2004 में बेटे अंबुमणि को केंद्र में मंत्री बनवा कर गलती की थी। दूसरी ओर अंबुमणि कह रहे हैं कि पिता की बगावत से वे अवसादग्रस्त हो गए हैं।

इन दोनों के बीच विवाद का मुद्दा भी कम दिलचस्प नहीं है। दोनों पिता-पुत्र इस बात पर एक राय हैं कि एनडीए में रहना है। लेकिन पिता चाहते हैं कि एनडीए में रहते हुए उनकी पार्टी का तालमेल अन्ना डीएमके के साथ हो, जबकि बेटे का कहना है कि तालमेल भाजपा के साथ होना चाहिए। सोचें, इसका क्या फर्क पड़ जाएगा? जब पार्टी एनडीए में है तो एनडीए के सभी घटक दलों के साथ होगा। लेकिन सीनियर रामदॉस एक तकनीकी दूरी दिखाना चाहते हैं ताकि प्रदेश के भाजपा विरोधी मतदाताओं को संदेश दिया जा सके। अब देखना है कि यह ड्रामा कब तक चलता है और कैसे पटाक्षेप होता है।

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