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तेजस्वी, सहनी के मछली खाने का विरोध

Tejashwi Yadav Chaitra Navratri

इन दिनों भारत की राजनीति ऐसी हो गई है कि बात बात पर सनातन धर्म खतरे में आ जा रहा है। बिहार में राजद नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और विकासशील इंसान पार्टी के नेता मुकेश सहनी ने मछली खाते हुए अपना वीडियो पोस्ट किया तो पटना से लेकर दिल्ली तक भाजपा के अनेक नेताओं की भावनाएं आहत हो गईं और कहा जाने लगा कि ये दोनों नवरात्रों के बीच मछली खा रहे थे इसलिए सनातन विरोधी हैं। सोचें, मछली खाने से कोई कैसे सनातन विरोधी हो सकता है? लेकिन उससे भी दिलचस्प बात यह है कि तेजस्वी ने बाद में मजाक उड़ाते हुए कहा कि उन्होंने भाजपा नेताओं का आईक्यू टेस्ट करने के लिए इसे डाला था। असल में उनकी पोस्ट में मछली खाने के वीडियो की तारीख भी लिखी हुई है, जो नवरात्रों से एक दिन पहले की है।

लेकिन किसी ने तारीख पर ध्यान नहीं दिया और नवरात्रों में मछली खाने को लेकर तेजस्वी और मुकेश सहनी पर हमला शुरू कर दिया। इससे उनका मजाक तो बना ही है लेकिन साथ ही भाजपा राजनीतिक रूप से भी नुकसान की संभावना पैदा हो गई है। मुकेश सहनी मल्लाह जाति से आते हैं, जिसका मुख्य पेशा मछली पकड़ना है। ऐसा तो है नहीं है कि नवरात्रों में मल्लाहों ने मछली मारना बंद कर दिया है। ऐसे में उनके नेता अगर मछली खा रहे हैं और इसके लिए उनकी आलोचना हो रहा है तो यह जाति की अस्मिता का मामला बन जाता है। तभी मुकेश सहनी ने उसी मछुआरों की आम बोलचाल की बातों का इस्तेमाल करते हुए कहा कि भाजपा के गले में मछली का कांटा अटक गया है। अगर पार्टियां लोगों के खानपान या पहनावे आदि का राजनीतिक मुद्दा बनाने से दूर रहें तो ज्यादा बेहतर होगा।

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