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बंगाल के राज्यपाल का विवाद सबसे अलग

जब से केंद्र में भाजपा की सरकार बनी है तब से उसके द्वारा नियुक्त राज्यपालों का राज्य की विपक्षी पार्टियों वाली सरकारों से लगातार टकराव चलता रहता है। अलग अलग राज्यों में कई तरह के विवाद हुए। लेकिन आमतौर पर सारे विवाद संवैधानिक और प्रशासनिक मुद्दों को लेकर रहे। जैसे राज्यपाल ने विधेयक रोक दिए या कानून व्यवस्था की मुआयना करने पहुंच गए या सरकार के कामकाज में दखल दिया। पश्चिम बंगाल के पिछले राज्यपाल जगदीप धनखड़ के साथ तो ममता बनर्जी की सरकार का टकराव अलग ही स्तर पर था। परंतु धनखड़ की जगह जो राज्यपाल आए हैं सीवी आनंदा बोस उनके साथ सरकार का विवाद सबसे अलग है। संवैधानिक मुद्दों की बजाय उनका विवाद निजी है।

यह संभवतः पहली बार हुआ है, जब एक राज्यपाल ने सत्तारूढ़ दल के सांसद के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है। राज्यपाल बोस ने तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी के खिलाफ मुकदमा किया है क्योंकि कल्याण बनर्जी ने आरोप लगाया था कि राजभवन में हथियार इकट्ठा किए जा रहे हैं। इसके बाद राज्यपाल ने पुलिस बुला कर राजभवन की तलाशी कराई और उसके बाद मुकदमा दर्ज कराया। राजभवन की तलाशी भी संभवतः पहली बार ही हुई। इससे पहले राज्यपाल सीवी आनंदा बोस के ऊपर राजभवन की महिला कर्मचारी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगा दिया था और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उस महिला कर्मचारी के समर्थन में उतर गई थीं। पुलिस को मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया गया था। अगले साल चुनाव तक यह विवाद और बढ़ता रहेगा।

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