Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

बिहार में कांग्रेस की क्या राजनीति?

बिहार में कांग्रेस

कांग्रेस पार्टी विधानसभा चुनाव से छह महीने पहले बिहार में कांग्रेस जो कर रही है क्या वह सिर्फ गठबंधन में मिली सीटें बचाने के मकसद से कर रही है या इसका कोई दूसरा पहलू भी है? य़ह बड़ा सवाल है क्योंकि बिहार में कांग्रेस पूरक बनने और राष्ट्रीय जनता दल को मजबूत करने वाली राजनीति नहीं कर रही है, बल्कि स्वतंत्र राजनीति कर रही है। स्वतंत्र राजनीति में भी उसका फोकस पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्क वोट पर है। कांग्रेस और लालू प्रसाद की पार्टी राजद के बीच जब से तालमेल है तब से कांग्रेस का इस्तेमाल सवर्ण वोट लाने और दलित व मुस्लिम वोट बिखरने से रोकने के लिए हो रहा था।

अब कांग्रेस ने यह धारणा बदल दी है। उसने एक एक करके तमाम सवर्ण नेताओं को किनारे कर दिया है और पिछड़ा, दलित व मुस्लिम पर फोकस बनाया है। कन्हैया कुमार इसका अपवाद हैं लेकिन उनका इस्तेमाल सवर्ण राजनीति साधने के लिए नहीं किया जा रहा है, बल्कि उनके जरिए कम्युनिस्ट पार्टी के पुराने वोट, युवाओं के वोट और भाजपा विरोधी आदर्शवादी लोगों के वोट को साथ लाने के लिए किया जा रहा है।

कांग्रेस न सिर्फ अलग होकर स्वतंत्र राजनीति कर रही है, बल्कि कांग्रेस के नेता लगातार कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री का फैसला चुनाव के बाद होगा। दूसरी ओर लालू प्रसाद ने ऐलान कर दिया है कि, ‘कोई माई का लाल इस बार तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनने से नहीं रोक सकता है’। खुद तेजस्वी ने भी पिछले दिनों दलितों के एक सम्मेलन में कहा कि उनको मुख्यमंत्री बनाने के लिए वोट करें। इस तरह राजद ने तेजस्वी को सीएम का उम्मीदवार घोषित कर दिया है। वे स्वाभाविक दावेदार भी हैं।

Also Read: धीमी ओवर रेट के लिए कप्तान अक्षर पटेल पर लगा 12 लाख रुपए का जुर्माना

आखिर वे अपने 10 साल के करियर में साढ़े तीन साल उप मुख्यमंत्री रहे और बाकी साढ़े छह साल से थोड़े ज्यादा समय तक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे हैं। वे लगातार दो चुनावों से बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बन रही राजद के नेता हैं।

लेकिन पिछले दिनों कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट बिहार में कन्हैया कुमार की ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ यात्रा में शामिल होने गए तो उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का फैसला चुनाव के बाद होगा। प्रभारी कृष्णा अलवरू और कांग्रेस के एसोसिएट मेंबर व पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने भी कहा कि सीएम का फैसला बाद में होगा। पप्पू यादव ने तो यहां तक कहा कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा।

इतना ही नहीं कांग्रेस ने पप्पू यादव को अहमदाबाद अधिवेशन में बुला कर भी लालू प्रसाद और तेजस्वी को चिढ़ाया। सबको पता है कि लालू प्रसाद का परिवार पप्पू यादव को पसंद नहीं करता है। ऊपर से लालू प्रसाद के समधि कैप्टेन अजय यादव को कांग्रेस ओबीसी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। उनकी जगह दूसरे यादव नेता अनिल जयहिंद को अध्यक्ष बनाया गया। बिहार में कांग्रेस ने लालू प्रसाद के करीबी अखिलेश प्रसाद सिंह को हटा कर दलित समाज के राजेश राम को अध्यक्ष बनाया। शकील अहमद खान पहले से कांग्रेस विधायक दल के नेता हैं।

कांग्रेस के तीन में से दो लोकसभा सांसद मुस्लिम हैं और एक दलित हैं। कांग्रेस जिस तरह से यादव, दलित, मुस्लिम राजनीति बहुत आक्रामक अंदाज में कर रही है उससे लालू प्रसाद के परिवार में चिंता है। ध्यान रहे कांग्रेस ने गठबंधन में ही चुनाव लड़ने का ऐलान किया है इसलिए चिंता गठबंधन की नहीं, बल्कि सीट बंटवारे में मोलभाव की है।

Pic Credit: ANI

Exit mobile version