यह लाख टके का सवाल है कि क्या देश के सबसे बड़े राज्य को पहली महिला पुलिस महानिदेशक यान डीजीपी मिल पाएगी? उत्तर प्रदेश के मौजूदा पुलिस महानिदेशक प्रशांत किशोर का कार्यकाल 31 मई को पूरा हो रहा है। यानी अब उनके कार्यकाल का सिर्फ आठ दिन बचा है। लेकिन अभी तक राज्य सरकार की ओर से नए डीजीपी की नियुक्ति के लिए कोई पहल नहीं की गई है।
सरकार की ओर से संघ लोक सेवा आयोग को कोई सूची नहीं भेजी गई है। इसका कारण यह भी है कि राज्य सरकार ने डीजीपी की नियुक्ति का अपना नियम बना लिया है। लेकिन उस नियम के तहत भी सरकार ने नए डीजीपी के चयन की प्रक्रिया नहीं शुरू की है। यह भी अंदाजा नहीं है कि नियम के मुताबिक वरिष्ठता और योग्यता के आधार पर नियुक्ति होगी या राजनीतिक नियुक्ति होगी और राज्य सरकार करेगी या केंद्र से कोई निर्देश जाएगा।
पुलिस प्रमुख पद पर महिला की चर्चा
इस बीच राज्य की सबसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों में से एक 1990 बैच की आईपीएस अधिकारी तिलोत्तमा वर्मा की नियुक्ति की चर्चा तेज हो गई है। वे अभी डीजी ट्रेनिंग हैं। उनके पति भी अशोक गुप्ता भी आईपीएस अधिकारी थे लेकिन पिछले महीने उन्होंने वीआरएस ले लिया ताकि पत्नी के रास्ते में कोई बाधा नहीं आए। तिलोत्तमा वर्मा का सीबीआई के कामकाज की रिकॉर्ड अच्छा है। उनके अलावा जो नाम चर्चा में हैं उनमें दलजीत चौधरी हैं, जो अभी बीएसएफ के प्रमुख हैं।
आलोक शर्मा देश प्रधानमंत्री की सुरक्षा कर रही एसपीजी के प्रमुख हैं और राजीव कृष्णा राज्य के भर्ती बोर्ड में हैं। अगर वरिष्ठता और योग्यता को पैमाना बना कर नियुक्ति होती है तो इस बात की बहुत संभावना है कि देश के सबसे बडे राज्य को पहली महिला पुलिस महानिदेशक मिल जाए। हालांकि उत्तर प्रदेश के पुलिस प्रमुखों का मामला बहुत अलग तरह का रहा है। वहां सरकार काफी समय तक तदर्थ व्यवस्था से ही काम चलाती रही है।
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