Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

यात्रा के समापन से पहले कांग्रेस की सफाई

कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का समापन 30 जनवरी को होगा। राहुल गांधी पहले पार्टी मुख्यालय में झंडा फहराएंगे और उसके बाद शेरे कश्मीर स्टेडियम में एक बड़ा कार्यक्रम होगा। कांग्रेस ने इसे सफल बनाने के लिए पूरी ताकत लगाई है। लेकिन ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस के तमाम प्रयास के बावजूद ज्यादातर विपक्षी पार्टियां इससे दूर रहने वाली हैं। तभी कांग्रेस ने सफाई दी है कि यह यात्रा या इसका समापन कार्यक्रम विपक्षी एकता बनाने का अभियान नहीं है। कांग्रेस महासचिव और संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने यह बात की है। जाहिर है कांग्रेस ने राहुल की समापन रैली में बड़े विपक्षी नेताओं की गैरहाजिरी पर उठने वाले संभावित सवालों को पहले ही टालने का बहाना बता दिया है।

सवाल है कि अगर यह विपक्षी एकता बनाने का अभियान नहीं है तो कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने क्यों 23 विपक्षी पार्टियों के नेताओं को चिट्ठी लिखी और उनको श्रीनगर के समापन कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता दिया? कांग्रेस इसे अपना ही कार्यक्रम रखती या ज्यादा से ज्यादा यूपीए के घटक दलों को न्योता देती। लेकिन कांग्रेस ने यूपीए से बाहर की भी लगभग सभी विपक्षी पार्टियों को न्योता भेजा। आम आदमी पार्टी, भारत राष्ट्र समिति और डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी के अलावा करीब करीब सभी विपक्षी पार्टियों को खड़गे ने चिट्ठी लिखी।

अब इनमें से कोई पार्टी समापन कार्यक्रम में नहीं शामिल हो रही है। बिहार में कांग्रेस की सहयोगी जनता दल यू के नेता और राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भारत जोड़ यात्रा और समापन रैली को लेकर कहा कि वह कांग्रेस का अपना अभियान है। जेडीएस नेता एचडी देवगौड़ा ने भी खड़गे को चिट्ठी लिख कर यात्रा को शुभकामना दी लेकिन शामिल होने से मना कर दिया। इनके अलावा खड़गे ने जिन लोगों को चिट्ठी लिखी थी उनमें से समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, तृणमूल कांग्रेस आदि कोई भी पार्टी 30 जनवरी के समापन कार्यक्रम में नहीं शामिल हो रह है।

सबसे हैरानी की बात है कि त्रिपुरा में कांग्रेस से तालमेल करने वाली कम्युनिस्ट पार्टियां भी यात्रा में शामिल नहीं हो रही हैं। सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी से राहुल गांधी के बहुत अच्छे संबंध हैं लेकिन उन्होंने कांग्रेस की यात्रा में कहीं भी अपनी पार्टी को नहीं शामिल किया। इसी तरह का मामला बिहार की सबसे पुरानी सहयोगी राजद का भी है। उसकी ओर से भी स्पष्ट नहीं किया गया है कि उसका कोई नेता राहुल के कार्यक्रम में शामिल होता है या नहीं। कांग्रेस की तमाम सहयोगी पार्टियों या यूपीए के घटक दलों के भी बड़े नेता यात्रा में शामिल होने नहीं जा रहे हैं। तभी कांग्रेस की ओर से पहले ही पोजिशनिंग की जा रही है कि इसका मकसद विपक्षी एकता बनाना नहीं है।

Exit mobile version