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बिहार में भाजपा क्या करेगी?

यह लाख टके का सवाल है कि बिहार में भाजपा क्या करेगी? पिछले साल अगस्त में जदयू के अलग होने के बाद से पार्टी कोई राजनीतिक कार्यक्रम नहीं कर पाई है। नीतीश कुमार नए साल के पहले हफ्ते से ही यात्रा पर निकले हैं लेकिन भाजपा पटना और दिल्ली में कोर कमेटी की बैठक कर रही है और उसके नेता ट्विट करके राज्य सरकार पर हमला कर रहे हैं। अगले महीने अमित शाह को पटना जाना है, जहां वे किसान नेता सहजानंद सरस्वती से जुड़े एक कार्यक्रम में शामिल होंगे। लेकिन वह भी एक इवेंट की तरह है, कोई बड़ा राजनीतिक अभियान नहीं है।

सोचें, इस समय बिहार में भाजपा के लिए आदर्श स्थिति है। राज्य में पिछले 32 साल में चार मुख्यमंत्री हुए हैं और चारों इस समय एक ही गठबंधन में हैं। लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी ये चार लोग मुख्यमंत्री बने हैं और चारों महागठबंधन में हैं। भाजपा भी नीतीश कुमार के साथ सरकार में रही है लेकिन उसके लिए मौका है कि वह मुख्य और बहुत बड़ी विपक्षी पार्टी के तौर पर अपनी अलग पहचान बनाए। वह राज्य की खराब हालत के लिए चारों मुख्यमंत्रियों को जिम्मेदार ठहरा कर बड़ा राजनीतिक अभियान शुरू कर सकती है और उसको फायदा भी हो सकता है। लेकिन ऐसा लग रहा है कि नीतीश कुमार की वापसी की उम्मीद में कोई बड़ा आंदोलन करने से हिचक रही है।

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