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आगे गली बंद है

विदेश

बीते वर्ष अमेरिका ने 34 प्रतिशत और कनाडा ने 32 प्रतिशत कम भारतीय छात्रों को वीजा दिया। ब्रिटेन के मामले में यह गिरावट 26 प्रतिशत रही। अब विदेशी छात्रों को वहां अस्थायी वर्क वीजा मिलने में भी दिक्कत हो रही है।

विदेश जाकर ऊंची शिक्षा की आकांक्षा रखने वाले भारतीय छात्रों के लिए खबर चिंताजनक है। जिन विकसित देशों में जाकर पढ़ने का सबसे ज्यादा आकर्षण रहा, वहां दरवाजे बंद हो रहे हैं। यह बात वीजा संबंधी आंकड़ों के एक ताजा विश्लेषण से जाहिर हुई है।

कोरोना महामारी के बाद पहली बार ऐसा हुआ है, जब अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज हुई है। बीते वर्ष अमेरिका ने एक साल पहले की तुलना में 34 प्रतिशत और कनाडा ने 32 प्रतिशत कम भारतीय छात्रों को वीजा दिया। ब्रिटेन के मामले में यह गिरावट 26 प्रतिशत रही।

विदेश में पढ़ाई अब और मुश्किल होती जा रही

कोरोना काल के बाद विदेश जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में उछाल देखा गया था। मगर अब हालात बदल रहे हैं। विकसित देशों में यह रुझान भी फैल गया है कि वे पढ़ने के लिए बाहर से आने वाले छात्रों को अब अस्थायी वर्क वीजा या तो नहीं दे रहे हैं या बहुत कम अवधि के लिए दे रहे हैं। इस वीजा के तहत पढ़ाई पूरी करने के बाद छात्रों को वहीं नौकरी ढूंढने के लिए वक्त मिलता है।

वैसे भी ज्यादातर विकसित देश में अब विदेशी कर्मियों का स्वागत करने के मूड में नहीं है। वहां ये दौर विदेशी नागरिकों के प्रति दुराव बढ़ने का है। शिक्षा उन तीन देशों, और ऑस्ट्रेलिया के लिए विदेशी धन लाने का जरिया रही है। मगर इस वजह से वहां नई समस्याएं खड़ी हुईं।

मसलन, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा आदि में हर साल लाखों छात्रों से आने से आवास महंगा हुआ, जिससे स्थानीय नागरिकों में नाराजगी पैदा होने लगी। इसका लाभ धुर दक्षिणपंथी राजनीतिक समूहों ने उठाया, जिन्होंने विदेशियों को लेकर तीखी भावनाएं स्थानीय आवाम में उभार दी हैं। नतीजा, दरवाजों का बंद होना है। इसके अलावा बाहरी छात्रों को अब महंगाई, मकान ढूंढने आदि से लेकर आम हिफाजत तक जैसी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

ऐसी सूरत में विदेश में पढ़ाई की स्थितियां लगातार कठिन होती जा रही हैं। फिलहाल, जिस तरह के हालात हैं, उनके बीच निकट या मध्यकालीन भविष्य में स्थितियां सुधरने की संभावना भी नहीं दिखती।

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Pic Credit: ANI

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