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चौधरी के सामने प्रभावी प्रभारी बनने की चुनौती

Delhi election congress

भोपाल। प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए पार्टी हाई कमान प्रदेश कांग्रेस का प्रभारी बनाकर जिन नेताओं को भेजता है वे स्वयं ही इतने कमजोर साबित होते हैं कि कुछ ही महीना में उन्हें हटाकर नए प्रभारी नियुक्त किया जाता है। हाल ही में राजस्थान के विधायक हरीश चौधरी को प्रदेश कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया है। वे 20 फरवरी को पहली बार भोपाल आएंगे। हरीश चौधरी के सामने कांग्रेस की कड़ियों को जोड़ने की चुनौती तो रहेगी ही सबसे बड़ी चुनौती एक प्रभावी प्रभारी बनने की भी है।

दरअसल प्रदेश कांग्रेस को मजबूत करने के लिए कांग्रेस का पार्टी हाईकमान लगातार कोशिश कर रहा है और एक से एक अनुभवी एवं विश्वसनीय प्रदेश प्रभारी बनाकर भेजता है लेकिन अधिकांश प्रदेश प्रभारी स्वयं का प्रभाव नहीं छोड़ पाए और कुछ ही महीना में उन्हें हटा दिया गया। ऐसा ही कुछ हाल ही में प्रदेश प्रभारी पद से हटाए गए भंवर जितेंद्र सिंह के साथ भी हुआ जो केवल 14 महीने बाद ही हटा दिए गए। जितेंद्र भंवर से पहले इंदिरा गांधी राजीव गांधी और राहुल गांधी के साथ काम करने वाले जेपी अग्रवाल को प्रभारी बनाकर भेजा था लेकिन वह भी ज्यादा समय प्रदेश में नहीं देख पाए इसी तरह पार्टी हाईकमान के विश्वसनीय रणदीप सुरजेवाला और मुकुल वासनिक जैसे भी नेता प्रदेश में बतौर प्रभारी कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं अदा कर पाए। इसके पहले मोहन प्रकाश और दीपक बावरिया जरूर एक अच्छी पारी खेलने में सफल हुए थे। दीपक बावरिया के प्रभारी रहते ही 2018 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी हालांकि उसे समय कांग्रेस की सरकार बनने का श्रेय कांग्रेस की एक जुटता और कमलनाथ के प्रबंधन को दिया जाता है।

बहरहाल, राजस्थान के बाड़मेर जिले की बायुत सीट से कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री हरीश चौधरी को पार्टी ने प्रदेश कांग्रेस का प्रभारी बनाकर भेजा है। जितेंद्र भंवर सिंह 14 महीने प्रदेश के प्रभारी रहे। इस दौरान कांग्रेस में ना तो एकजुटता बनी और न ही पार्टी का प्रदर्शन सुधरा यहां तक की लोकसभा की सभी 29 सीटें पार्टी चुनाव हार गई। अब एक बार फिर कांग्रेस पार्टी हाई कमान ने हरीश चौधरी पर भरोसा जताते हुए उन्हें प्रदेश में कांग्रेस का प्रभारी बनाकर भेजा है। हरीश चौधरी के सामने सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस की टूटी बिखरी कड़ियों को जोड़ने की है। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के बीच समन्वय बनाने और उन्हें मैदान में सक्रिय करने की तो है ही सबसे बड़ी चुनौती एक ऐसा प्रभारी बनने की है जो लंबे समय तक टिक सके और कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच एक प्रभाव छोड़ सके इसके नेतृत्व में पार्टी आगामी चुनाव के लिए खुद को तैयार कर सके।

कुल मिलाकर कांग्रेस संगठन में राष्ट्रीय स्तर पर बड़े फेरबदल चल रहे हैं उसी कड़ी में मध्य प्रदेश में भी प्रदेश प्रभारी बदले गए हैं बार-बार प्रभारी बदलने से पार्टी में असमंजस की स्थिति बनती है। नए प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी के सामने इस असमंजस को दूर करने की चुनौती है। अब समय बताया कि वह कितने सफल होते हैं। इसके लिए उन्हें प्रदेश में समय देना पड़ेगा हालांकि पहले जो कार्यक्रम उनका प्रदेश का बना है वे 20 फरवरी को भोपाल आएंगे और 21 फरवरी को वापस चले जाएंगे।

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