political crisis

  • कर्नाटक पर कांग्रेस को फैसला करना होगा

    कांग्रेस पार्टी के नेता किसी तरह कर्नाटक का मसला टाल रहे हैं। वे विवादों को दबा रहे हैं। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की एक साथ मुस्कुराती हुई तस्वीर दिखा कर दावा कर रहे हैं कि दोनों के बीच कोई विवाद नहीं है। सत्ता के लिए चल रहे संघर्ष को कालीन के नीचे छिपाने का प्रयास चल रहा है। एक तरफ पार्टी ने महासचिव और कर्नाटक के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला को विधायकों और विधान परिषद के सदस्यों से बात करने के लिए भेजा है तो दूसरी ओर कहा जा रहा है कि कोई विवाद नहीं है। एक तरफ...

  • कर्नाटक में छत्तीसगढ़ की कहानी

    karnatak congress : कर्नाटक में तमाम कोशिश के बावजूद कांग्रेस आलाकमान गुटबाजी खत्म नहीं करा पा रहा है और न नेताओं की बयानबाजी रूक रही है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का प्रदेश होने के बावजूद नेताओं में खुलेआम झगड़े हो रहे हैं। छोटे नेताओं और मंत्रियों के साथ साथ पार्टी के बड़े नेता भी इस विवाद में शामिल हो गए हैं। (karnatak congress) इस विवाद में कूदे नए नेता हैं की वीरप्पा मोईली। वे पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं। उन्होंने कहा है कि उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनने से कोई ताकत नहीं रोक पाएगी।...

  • चौधरी के सामने प्रभावी प्रभारी बनने की चुनौती

    भोपाल। प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए पार्टी हाई कमान प्रदेश कांग्रेस का प्रभारी बनाकर जिन नेताओं को भेजता है वे स्वयं ही इतने कमजोर साबित होते हैं कि कुछ ही महीना में उन्हें हटाकर नए प्रभारी नियुक्त किया जाता है। हाल ही में राजस्थान के विधायक हरीश चौधरी को प्रदेश कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया है। वे 20 फरवरी को पहली बार भोपाल आएंगे। हरीश चौधरी के सामने कांग्रेस की कड़ियों को जोड़ने की चुनौती तो रहेगी ही सबसे बड़ी चुनौती एक प्रभावी प्रभारी बनने की भी है। दरअसल प्रदेश कांग्रेस को मजबूत करने के लिए कांग्रेस...

  • भारत एक ‘गप्पी गाय’ है

    हमारे नेता नियमित रूप से प्रोपेगंडा, उपदेश, दिखावे, आदि करते रहते हैं। जबकि वास्तव में ताउम्र गद्दीनशीनी और तरह-तरह से दोहन की फिक्र में रहते हैं। यह स्वतंत्र भारत में शुरू से ही स्थापित मॉडल बन चुका है। सामान्य राजकाज अफसरों पर छोड़ा रहता है, जो उसे अपनी स्थिति, प्रवृत्ति और अवसरवादिता से जैसे-तैसे चलाते हैं। विभिन्न दलों और नेताओं में यही आम नमूना है। जो भी अंतर, वह मात्र डिग्री व रूप का है। इसलिए क्योंकि भारत के नेता ही किसी देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। और हमें 'गप्पी गाय' की उपाधि चीनी नेता माओ ने दी थी। पड़ोसी...

  • कांग्रेसी क्षत्रप ही कांग्रेस को डुबोते हैं !

    ताजा प्रसंग हरियाणा का है। वहां कांग्रेसियों ने बैठे बिठाए भाजपा को आक्सिजन दे दी। टिकट बंट गए। लोगों ने नामांकन भर दिए। नाम वापसी की तारीख खतम हो गई फिर अचनानक कुमारी सैलजा को याद आया कि उनके गुट को टिकट कम मिले हैं तो वे जा कर कोपभवन में बैठ गईं। कांग्रेस हाईकमान और ज्यादा खुशामद में लग गया। खुद कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने दो बार सैलजा से मुलाकात की। उनके बर्थ डे पर खूब हंसते हुए जैसे उनके फोटो आमतौर पर दिखते नहीं मिठाई खिलाई। और मुख्यमंत्री पद का आश्वासन दिया। शकील अख्तर कांग्रेस में क्षत्रप कब...

  • अपने ही बढ़ा रहे मुश्किलें

    भोपाल। एक तरफ जहां सदस्यता अभियान के माध्यम से भाजपा अपना जनाधार बढ़ाने के लिए प्रयासरत है वहीं दूसरी ओर गुटबाजी के चलते भाजपा के नेता ही पार्टी की मुश्किलों को बढ़ा रहे हैं। बिना क्षेत्र में जिस तरह से भाजपा सांसद और विधायक के बीच बयानबाजी चल रही है उस पार्टी की क्षेत्र में किरकिरी हो रही है। दरअसल, विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के बाद प्रदेश में भाजपा सदस्यता अभियान के माध्यम से अपने जनाधार को बढ़ाने के लिए बेताब है उन बूथों पर भी भाजपा फोकस बनाए हुए हैं जहां उसे अब...

  • भारत के लिए बांग्लादेश की घटनाएं गंभीर

    भारत जैसे मज़बूत देश और उसके ख़ुफ़िया तंत्र को ढाका में होने वाले राजनैतिक घटनाक्रम की भनक क्यों नहीं लगी? यह बात गले नहीं उतरती। क्या इसे भी पुलवामा की तरह ‘इंटेलिजेंस फेलियर’ माना जाए? उल्लेखनीय है कि 1975 में, जब भारत की इंटेलिजेंस एजेंसियों को बांग्लादेश में तख्तापलट होने जा रहा है, इसकी भनक लगी, तो तब भारत की प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने लगभग एक सप्ताह पहले ही अपने हेलीकॉप्टर भेज कर शेख़ मुजीबुर रहमान को भारत में शरण लेने की सलाह दी थी, परंतु वे नहीं माने। भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में जो हुआ उसने कई...

  • केजरीवाल की पार्टी में सब ठीक नहीं

    एक तरफ आम आदमी पार्टी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जेल से निकलने के बाद बड़ी हवा बनाने की कोशिश कर रही है। केजरीवाल प्रेस कांफ्रेंस कर रहे हैं, हरियाणा जाकर रैली कर आए, दिल्ली में कांग्रेस उम्मीदवारों के समर्थन में रोड शो की तैयारी है और पंजाब में प्रचार करने जाना है। दूसरी ओर पार्टी की इकलौती महिला सांसद स्वाति मालीवाल को लेकर बड़ा विवाद हो गया है। मालीवाल के साथ मुख्यमंत्री आवास में मारपीट हुई है। यह इस किस्म की दूसरी घटना है। कुछ समय पहले दिल्ली के मुख्य सचिव के साथ मुख्यमंत्री आवास में मारपीट की घटना हुई...

  • छोटी पार्टियों से कांग्रेस को नुकसान

    कांग्रेस पार्टी के नेता हर बार जो गलती करते हैं वह इस बार भी पांच राज्यों के चुनावों में किया। वह गलती है छोटी पार्टियों को यहां तक कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में शामिल पार्टियों से भी चुनाव से पहले बातचीत नहीं करना। अगर ऐसी पार्टियां कुछ सीटें मांग रही हैं तो उनसे बात करके समझाने या कुछ सीटें देने में कांग्रेस को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए थी। लेकिन कांग्रेस के नेताओं ने इसकी जरूरत नहीं समझी। मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ का वह डायलॉग सबको ध्यान है कि ‘अखिलेश वखिलेश की बात छोड़िए’। हालांकि मध्य प्रदेश में...

  • कांग्रेस बैठाती है मैनेजरों को सिर पर!

    उत्तर भारत में क्यों कर कांग्रेस डूबी-1: किंवदंती की तरह दिल्ली के राजनीतिक जानकारों में चर्चा रही है कि 2014 में लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी चुनाव जीत गए तो उनके सलाहकार मैनेजर प्रशांत किशोर ने अपना भविष्य जानने के लिए अमित शाह से बात की। उन्होंने उनसे पूछा– मई के बाद क्या होगा? इस पर अमित शाह का टका सा जवाब था- जून होगा! यह बात भाजपा की ओर से प्रचारित हुई होगी। पर इससे जाहिर हुआ कि चुनाव में सर्वेक्षण करने वाले, चुनाव प्रबंधन का काम करने वाले, नारे गढ़ने और आकर्षक पोस्टर-बैनर-हार्डिंग बनवाने वाले या जनता के...

  • पाकिस्तान में सियासी अंधेरा

    इमरान खान को ऊपरी अदालतों से राहत मिलेगी या नहीं, यह अभी तय नहीं है। लेकिन यह तय है कि अगर ऐस्टैबलिशमेंट ने उन्हें सियासत से हटाने को सोच लिया है, तो यह होकर रहेगा। पाकिस्तान में लोकतंत्र की कहानी जुगनू की चमक जैसी ही है। उसका 75 साल का इतिहास रोशनी की थोड़ी से आस जगाने के बाद फिर लंबे अंधकार के दौर की तरह रहा है। अब यह कहा जा सकता है कि जनरल परवेज मुशर्रफ के पतन के बाद टिमटिमाती रोशनी का जो एक दौर आया था, वह गुजर चुका है और देश पर फिर से पूरी...

  • एनसीपी पर कब्जे की जंग

    मुंबई। अपने चाचा शरद पवार और उनकी बनाई पार्टी एनसीपी से अजित पवार की बगावत के एक दिन पार्टी पर कब्जे की जंग शुरू हो गई है। शरद पवार ने अपने बेहद करीबी रहे पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल और वरिष्ठ नेता सुनील तटकरे को एनसीपी से निकाल दिया है। दोनों की प्राथमिक सदस्यता रद्द कर दी गई है। दूसरी ओर अजित पवार ने सोमवार को भाजपा नेता और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के साथ बैठक की और अपनी नई टीम का ऐलान किया। उन्होंने सुनील तटकरे को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। गौरतलब है कि अजित पवार...

  • मप्र: सतह पर आई भाजपा की गुटबाजी

    भोपाल। केवल दीपक जोशी ने ही भाजपा नहीं छोड़ी है बल्कि पूरे प्रदेश में जगह-जगह से जिस तरह से भाजपा नेताओं के बयान आ रहे हैं उससे भाजपा की अंदरूनी कलह अब सतह पर आ गई है। माना जा रहा है पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व जल्द ही गुटबाजी के नासूर का ऑपरेशन करेगा। 28 मई को संसद भवन के उद्घाटन के बाद प्रदेश पर फोकस किया जाएगा। दरअसल, प्रदेश और देश में लगातार सरकार में रहने के कारण कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच जहां फासला बना वहीं नेताओं के बीच सत्ता में भागीदारी को लेकर प्रतिस्पर्धा भी बढ़ी लेकिन अब...

  • आज की राजनीति : ‘जहरीला सांप’ से ‘विषकन्या’ तक…?

    भोपाल। हमने एक वह जमाना देखा है, जब संसद में एक दूसरे की बखिया उधेड़ने वाले प्रतिपक्षी नेता राम मनोहर लोहिया और तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू संसद से बाहर निकलते समय एक दूसरे के गले में हाथ डाले नजर आते थे, अर्थात वाणी की वैमनस्यता सदन में ही छोड़ कर आ जाते थे, किंतु आज शीर्ष राजनीति का स्तर काफी निम्न नजर आता है, संसद में उसी प्रतिपक्षी नेता की कुर्सी पर विराजित मौजूदा नेता चुनावी सभाओं में प्रधानमंत्री को "विषैला सर्प" बताते हैं और सत्तारूढ़ दल से जुड़े गुजरात के एक विधायक कांग्रेस की शीर्ष नेत्री को "विषकन्या"...

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