Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

बेचारा विपक्ष, क्या रास्ता है?

बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद भी विपक्ष के पास रास्ता नहीं है?  कैसी कमाल की बात है कि इन दिनों अदालतों के फैसले या सलाह भी ऐसी होती हैं, जिनसे दोनों पक्ष खुश हो जाएं। जैसे इन दिनों दुनिया भर में लड़ाइयां ऐसी होती हैं, जिनमें दोनों पक्ष जीत का दावा कर रहे हैं। भारत और पाकिस्तान में चार दिन लड़ाई हुई तो दोनों देशों ने जीत का जश्न मनाया और जुलूस निकाले। उधर ईरान और इजराइल की लड़ाई हुई तो दोनों देशों ने युद्धविराम के बाद जीत का दावा किया और विजय जुलूस निकाला। तीन साल से ज्यादा समय से रूस और यूक्रेन लड़ रहे हैं दोनों एक दूसरे पस्त कर देने का दावा कर रहे हैं।

और बिहार में मतदाता सूची पर हो रही लड़ाई पर गौर करें?  सर्वोच्च अदालत ने फैसला देने की बजाय कुछ सवाल उठाए और चुनाव आयोग को सलाह दी। सुप्रीम कोर्ट ने सवाल सही उठाए। यह पूछा कि नागरिकता प्रमाणित करना केंद्रीय गृह मंत्रालय का काम है तो आप क्यों कर रहे हैं? आप कर रहे हैं तो आपने इतना कम समय क्यों दिया? कम समय दिया तो आधार, राशन कार्ड, मनरेगा कार्ड जैसे दस्तावेजों को स्वीकार क्यों नहीं कर रहे हैं? ये सारे सवाल सही थे लेकिन इनका जवाब मांगने और प्रक्रिया पर रोक लगाने की बजाय अदालत ने चुनाव आयोग को सलाह दी कि वह अपना अभियान जारी रखे लेकिन आधार, मनरेगा कार्ड और राशन कार्ड को भी वैध दस्तावेज के तौर पर स्वीकार करे।

भला इसके बाद विपक्ष के पास क्या कोई रास्ता बचता है? विपक्षी पार्टियां बिहार में प्रदर्शन कर चुकी हैं। उन्होंने बिहार बंद भी कर लिया, जिसे जनता का भरपूर समर्थन मिला। उसके बाद न्यायिक रास्ता भी अपना लिया। सो, अब उनके पास इसके सिवा कोई रास्ता नहीं बचता है कि वे इस प्रक्रिया में शामिल हों। विपक्षी पार्टियों ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अपनी जीत बताया। हालांकि वास्तविकता यह है कि इसमें उनकी कोई जीत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की मौखिक सलाह से पहले ही बिहार में बूथ लेवल अधिकारियों ने नागरिकों से आधार कार्ड लेना शुरू कर दिया था। वे बिना आधार के भी मतगणना प्रपत्र स्वीकार कर रहे थे। उनको पता है कि इसके बाद का काम उनके हाथ में है। जनता के हाथ में प्रपत्र पहुंचा दिया और भरा हुआ प्रपत्र उनसे ले लिया। अब उसके बाद किसका नाम अपडेट किया जाना है और किसका नाम कट जाना है यह तो चुनाव आयोग के अधिकारियों के हाथ में है। विपक्ष अब इसमें कुछ नहीं कर सकता है।

Exit mobile version