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भाजपा-जदयू में बड़ा बनने की होड़

यह कमाल की बात है, जिसे बिहार के सत्तारूढ़ गठबंधन की दोनों बड़ी पार्टियां यानी भाजपा और जदयू के नेता स्वीकार नहीं कर रहे हैं लेकिन यह हकीकत है कि दोनों में बड़ा बनने की होड़ है, जो पहले दिन से शुरू हो गई है। विधायकों की संख्या के लिहाज से भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है। उसे जदयू से चार सीटें ज्यादा मिली हैं। इस आंकड़े के आधार पर चुनाव के बाद से यह खबर खूब चली कि भाजपा अपना मुख्यमंत्री बनाएगी। इसके बाद यह भी अफवाह यहां वहां फैलाई गई कि भाजपा और जनता दल यू में ढाई-ढाई साल की सत्ता साझेदारी का समझौता हुआ है यानी नीतीश कुमार ढाई साल के बाद सत्ता छोड़ देंगे। इसके बाद स्पीकर और गृह मंत्रालय को लेकर खबरें चलीं। कहा गया कि जदयू ने स्पीकर का दावा इसलिए पेश किया है ताकि उसे गृह नहीं छोड़ना पड़े। लेकिन  भाजपा के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को गृह मंत्रालय मिल गया तो यह प्रचार है कि जदयू स्पीकर के लिए अड़ी है और दामोदर रावत का नाम उसने आगे किया है। दूसरी ओर भाजपा की तरफ से नौ बार के विधायक प्रेम कुमार का नाम है। हालांकि प्रेम कुमार के इलाके से ही आने वाले दूसरे चंद्रवंशी नेता को भाजपा ने मंत्री बनवा दिया है।

बहरहाल, असली राजनीतिक खबर इनमें से कोई नहीं है। असली खबर यह है कि भाजपा और जनता दल यू में बड़ा बनने की होड़ है। जदयू की ओर से प्रयास हो रहा है कि किसी तरह से उसके विधायकों की संख्या बढ़ाई जाए ताकि जदयू सबसे बड़ी पार्टी बन जाए। इसके लिए जदयू ने अपने कोटे के सात मंत्री पद खाली रखे हैं। पिछले दिनों बहुजन समाज पार्टी के इकलौते विधायक पिंटू यादव से संपर्क किया गया था। वे सिर्फ 30 वोट से जीते हैं। उनको पैसे और मंत्री पद का ऑफर दिया गया। लेकिन उन्होंने मना कर दिया। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के चार विधायकों से संपर्क करने की भी खबर है और यह भी कहा जा रहा है कि अपनी पार्टी आईआईपी बना कर लड़े और जीते आईपी गुप्ता से भी जदयू के नेताओं ने संपर्क किया है। कहा जा रहा है कि अगर बसपा और आईआईपी के एक एक विधायक और एमआईएम के चार विधायक आ जाएं तो जदयू की संख्या 91 हो जाएगी और वह भाजपा से बड़ी पार्टी हो जाएगी।

पटना में यह भी खबर है कि कांग्रेस के कुछ विधायकों से भी जदयू के नेताओं ने संपर्क किया है। लेकिन वहां दल बदल कानून का खतरा है। इस समय कोई विधायक इस्तीफा देने को तैयार नहीं है। हालांकि कांग्रेस के कुछ विधायक तैयार बताए जा रहे हैं लेकिन वे स्पीकर के चुनाव का इंतजार कर रहे हैं। अगर स्पीकर जनता दल यू का तो हो उनको उम्मीद है कि कुछ साल सदस्यता बची रह जाएगी और उसके बाद उपचुनाव लड़ लेंगे। भाजपा को इसकी खबर है। इसलिए वह भी टूट सकने वाले संभावित विधायकों पर नजर रखे हुए है। साथ ही स्पीकर का पद अपने पास रखना चाहती है। स्पीकर भाजपा का रहा तो दूसरी पार्टियों के विधायकों में टूट की संभावना कम हो जाएगी। जदयू को सबसे बड़ी पार्टी बनाने के प्रयास में एक दिलचस्प अफवाह यह उडी थी कि तेजस्वी यादव को छोड़ कर उनके बाकी सभी 24 विधायक जदयू में जा रहे हैं। कहा गया कि जैसे पिछली विधानसभा में नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री रहते एमआईएम के चार विधायकों को राजद में शामिल करवा कर उसको विधानसभा की सबसे बड़ी पार्टी बनवाया था उसी तरह इस बार राजद अपने विधायकों को भेज कर जदयू को सबसे बड़ी पार्टी बनवाएगी। हालांकि तुरंत ही इन अफवाहों का खंडन हो गया।

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