Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

बिहार बनाम तेलंगाना की जाति गणना का विवाद

जाति

दो राज्यों ने हाल के दिनों में जाति गणना कराई है। पहले बिहार में जाति गणना हुई थी। उस समय जनता दल यू और राजद की सरकार थी। भाजपा विपक्ष में थी लेकिन उसके जाति गणना का समर्थन किया था। उसके बाद तेलंगाना में 2023 में कांग्रेस की सरकार बनने पर जाति गणना कराई।

राहुल गांधी ने बिहार के दौरे में वहां की जाति गणना को बोगस करार दिया, जबकि राजद और कांग्रेस एक साथ हैं और राजद नेता तेजस्वी यादव जाति गणना का श्रेय लेते हैं। राहुल लगातार तेलंगाना की जाति गणना को वैज्ञानिक बता रहे हैं और केंद्र सरकार से भी कहा है कि वह तेलंगाना मॉडल पर ही जाति गणना कराए।

जाति गणना पर बढ़ता राज्यों में तनाव

राहुल गांधी की बातों से राजद के नेता नाराज हैं। उनको लग रहा है कि राहुल बिहार में महागठबंधन को इसका लाभ नहीं मिलने देंगे। इसका नुकसान राजद के साथ साथ कांग्रेस का भी होगा। तभी प्रदेश कांग्रेस के नेता राहुल की बातों को अलग तरह से समझाने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन सवाल है कि बिहार और तेलंगाना की जाति गणना का विवाद अब क्या मायने रखेगा, जब केंद्र सरकार जनगणना के साथ जातियों की गिनती कराएगी? केंद्रीय कैबिनेट ने इसकी मंजूरी दे दी है।

जब केंद्र सरकार जातियों की गिनती कराएगी तो राज्यों की गिनती का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। तब नीति निर्धारण के लिए केंद्र सरकार के आंकड़े ही काम आएंगे। हालांकि जानकारों का मानना है कि आंकड़ों में ज्यादा फर्क नहीं आएगा क्योंकि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आंकड़े तो हर जनगणना में लिए ही जाते हैं। पिछड़ी जातियों के आंकड़े भी 1931 की जनगणना के अनुमान के मुताबिक ही हैं। देश भर में ओबीसी आबादी 54 फीसदी मानी जाती है तो उसी के आसपास आंकड़ा रहने की संभावना है। कुछ राज्यों में जरूर थोड़ा अंतर आ सकता है।

Also Read: घोषणाओं के चुनावी लाभ का कमाल का तरीका

Pic Credit: ANI

 

Exit mobile version