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नांदेड़ की पहली ऐसे सुलझती है

लोकतंत्र

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद कांग्रेस ने पूरी चुनावी प्रक्रिया और खास कर ईवीएम पर आरोप लगाने के लिए नांदेड़ लोकसभा के उपचुनाव के आंकड़ों को आधार बनाया। कांग्रेस अध्यक्ष के कार्यालय से जुड़े गुरदीप सिंह सप्पल ने सवाल उठाया कि कैसे नांदेड़ लोकसभा में कांग्रेस चुनाव जीत गई लेकिन विधानसभा की सभी छह सीटें हार गई? उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ज्यादा लोकप्रिय प्रदेश के देवेंद्र फड़नवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार हैं? उनका कहना है कि आमतौर पर केंद्र में शासन करने वाली पार्टी को लोकसभा में फायदा होता है लेकिन यहां उलटा हुआ। भाजपा लोकसभा हार गई और विधानसभा की सभी सीटें जीत गई। सप्पल ने यह सवाल भी उठाया कि कांग्रेस का डेढ़ लाख वोट कम हो गया। हालांकि यह एकतरफा व्याख्या है क्योंकि इस पहेली को सुलझाना कोई मुश्किल काम नहीं है।

नांदेड़ लोकसभा में एक सीट है नांदेड़ उत्तर, जहां एकनाथ शिंदे की शिव सेना ने कांग्रेस को चार हजार वोट से हराया लेकिन उस सीट पर कांग्रेस की सहयोगी उद्धव ठाकरे की शिव सेना को 22 हजार और वंचित बहुजन अघाड़ी को 24 हजार वोट मिला था। ऐसे ही नांदेड़ दक्षिण में शिंदे की शिव सेना ने कांग्रेस को दो हजार वोट से हराया लेकिन वहां प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी को 33 हजार से ज्यादा और असदुद्दीन ओवैसी की एमआईएम को 15 हजार से ज्यादा वोट मिले थे।

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इसी तरह भोकर में 2019 में जब अशोक चव्हाण कांग्रेस से लड़े थे तब उनको एक लाख 40 हजार वोट मिला था लेकिन 2024 में जब उनकी बेटी भाजपा से लड़ी तो उसको एक लाख 33 हजार ही वोट मिले। पिछली बार दूसरे स्थान पर रही भाजपा को 42 हजार वोट था, जबकि इस बार दूसरे स्थान पर रही कांग्रेस को 82 हजार से ज्यादा वोट मिले।

ऐसे ही नांदेड़ लोकसभा की चौथी सीट मुखेड है, जहां कांग्रेस के हनमंतराव वेंकटराव पाटिल 37 हजार वोट से हारे। उस सीट पर एक निर्दलीय उम्मीदवार बालाजी नामदेव खटगांवकर को 48 हजार वोट मिले और वंचित बहुजन अघाड़ी को भी करीब पांच हजार वोट मिले। बाकी दो सीटों, नैगांव और डेगलुर में कांग्रेस बड़े अंतर से हारी परंतु इन दोनों सीटों पर भी प्रकाश अंबेडकर की पार्टी को अच्छा खासा वोट मिला था। सो, कह सकते हैं कि सहयोगी पार्टियों के उम्मीदवारों या बागी उम्मीदवारों या वंचित बहुजन अघाड़ी और एमआईएम के उम्मीदवारों ने विधानसभा में कांग्रेस के वोट काटे और इस वजह से कांग्रेस हार गई।

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