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एसआईआर की बजाय कर्नाटक क्यों ले आए?

राहुल गांधी ने पिछले हफ्ते प्रेस कॉन्फ्रेंस  करके चुनाव आयोग पर बड़ा हमला किया। उन्होंने मतदाता सूची की गड़बड़ियों को लेकर ‘एटम बम’ फोड़ा। उन्होंने केस स्टडी के तौर पर कर्नाटक की बेंगलुरू सेंट्रल लोकसभा सीट के तहत आने वाली महादेवपुरा विधानसभा सीट का ब्योरा मीडिया के सामने रखा। राहुल ने बताया कि महादेवपुरा में एक लाख से ज्यादा वोट की चोरी हुई है और इसके दम पर भाजपा जीती है। राहुल की प्रेस कॉन्फ्रेंस से सबसे ज्यादा कंफ्यूजन बिहार में विपक्षी नेताओं में बना। बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के करीबी जानकारों का कहना है कि इस समय मामला बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर का चल रहा है, इसी मुद्दे पर पहले दिन से संसद की कार्यवाही ठप्प हो रही है, खुद कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता, जिनमें सोनिया गांधी भी शामिल हैं, एसआईआर के विरोध में शामिल हो रही हैं लेकिन राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दी कर्नाटक को लेकर।

राजद नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी ने जानबूझ कर ध्यान भटका दिया। बिहार में चल रहे एसआईआर की वजह से सारा फोकस राजद और तेजस्वी यादव पर बन रहा था। बिहार में 66 लाख के करीब नाम काटे जाने से देश भर में चुनाव आयोग पर सवाल उठ रहे हैं। बिहार में अब एसआईआऱ का दूसरा चरण चल रहा है। अगर राहुल गांधी राजद और लेफ्ट के नेताओं के साथ बिहार की एसआईआर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते और चुनाव आयोग की ओर से जारी मसौदा मतदाता सूची की कमियां सामने रखते तो उसका ज्यादा असर होता। ध्यान रहे राहुल ने महादेवपुरा में एक मकान में 80 नाम होने का विवाद बनाया, जबकि बिहार में एक महान में 237 नाम मिले हैं और वह भी एसआईआर के बाद! सोचें, एसआईआर बिहार में हो रहा है, बिहार के एसआईआर के मुद्दे पर संसद में हंगामा हो रहा है, चुनाव बिहार में होने वाले हैं और राहुल गांधी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं कर्नाटक की महादेवपुरा विधानसभा सीट के लेकर! उन्होंने पूरे मुद्दे को भटका दिया, ऐसा राजद के कई नेता मानते हैं।

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