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भाजपा के लिए जदयू के अंगूर खट्टे हैं

पिछले साल अगस्त में जब नीतीश ने भाजपा से तालमेल खत्म किया और वापस राजद के साथ मिल कर सरकार बनाई तभी से भाजपा के नेता प्रचार कर रहे थे कि नीतीश एक बार फिर पलटी मारेंगे और भाजपा के साथ आ जाएंगे। निश्चित रूप से जदयू में भी ऐसे कई नेता हैं, जो राजद के साथ बहुत सहज नहीं हैं और उनकी भी इच्छा थी कि वापस एनडीए में चला जाए। नीतीश कुमार की रोज की ‘भूंजा पार्टी’ में बैठने वाले दो-तीन नेता तो बेहद बेचैन थे और चाहते थे कि किसी तरह से राजद से संबंध टूटे और भाजपा से बहाल हो। लेकिन उनसे ज्यादा बेचैनी भाजपा के नेताओं में थी।

सत्ता गंवाने के बाद से प्रदेश भाजपा के नेता परेशान थे। उन्होंने कई तरह की अफवाहें फैलाईं, जिनमें सबसे बड़ी अफवाह यह था कि नीतीश एनडीए वापसी कर रहे हैं और इस बार वे मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। भाजपा और आरएसएस के कुछ पदाधिकारियों की ओर से दिल्ली और पटना की मीडिया में यह खबर चलवाई गई कि नीतीश कुमार ने शर्त रखी है कि अगर भाजपा सुशील मोदी को मुख्यमंत्री बनाती है तो वे एनडीए में लौटेंगे। यह भी कहा गया गया कि नीतीश केंद्र सरकार में मंत्री बनेंगे और राज्य में उनके समर्थन से भाजपा की सरकार बनेगी।

इस अफवाह की हवा निकलने के बाद भाजपा की ओर से दूसरा प्रचार किया गया कि बिहार में महाराष्ट्र होने जा रहा है। भाजपा के प्रति सद्भाव रखने वाले और भाजपा, आरएसएस के थिंकटैंक माने जाने वाले एक पत्रकार ने तो ट्विट भी कर दिया कि बिहार में महाराष्ट्र की कहानी दोहराई जाएगी। यानी जनता दल यू में टूट हो जाएगी और उसका बड़ा हिस्सा अलग होकर भाजपा से तालमेल कर लेगा। फिर या तो भाजपा की सरकार बनेगी या भाजपा के समर्थन से जदयू के टूटे हुए धड़े की सरकार बन जाएगी। अब इस अफवाह की भी हवा निकल गई है और भाजपा को लग गया है कि अंगूर खट्टे हैं तो उसने ऐलान किया है कि अब नीतीश के साथ कभी तालमेल नहीं होगा।

भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की दरभंगा में हुई बैठक में इसका विधिवत प्रस्ताव पास किया गया कि बिहार में भाजपा फिर कभी नीतीश कुमार के साथ तालमेल नहीं करेगी। पार्टी के राज्यसभा सांसद और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने यह भी बताया कि फैसला केंद्रीय नेतृत्व का है, जिसे प्रदेश कार्यकारिणी में स्वीकार किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने यह फैसला किया है कि नीतीश के साथ अब तालमेल नहीं होगा। असल में यह मजबूरी का फैसला है। भाजपा को लग गया है कि अब नीतीश पलटी नहीं मारने वाले है कम से कम अगले लोकसभा चुनाव तक। इस बीच नीतीश की पार्टी के एक बड़े पिछड़ा नेता उपेंद्र कुशवाहा के अलग पार्टी बनाने की चर्चा चल रही है, जिनके साथ भाजपा का तालमेल हो सकता है। इसलिए भाजपा ने अब यह पोजिशन लिया है कि वह तालमेल नहीं करेगी।

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