सर्वजन पेंशन योजना
  • अवैध तबलीगी इमारत का क्या हो?

    क़ानून अपना काम करता दिखे तो उस की तारीफ़ की जानी चाहिए , लेकिन जहां दिखावा तो काम का हो और वास्तव में किया कुछ न जाए तो आक्रोश पनपना स्वाभाविक भी है | दिल्ली की इनेक बस्तियों में जहां तीन मंजिल बनाने की इजाजत है, बीते कुछ सालों में पांच पांच मंजिल बन गई हैं , यह कोई प्रसाशन की अनदेखी से नहीं हुआ , बल्कि प्रशासन की देख रेख में हुआ | सबका रेट बंधा हुआ है , अफसर आँख मूंदने का तीन लाख रुपए लेते हैं| फिर वह अलग-अलग अमले में बंटता है। इस बीच कोई फोन...

  • कोरोना के बीच शर्मसार करती खबरें

    यह खबर शर्मसार करने वाली है कि 22 मार्च को जिन डाक्टरों, नर्सों, पुलिसकर्मियों के सेवाभाव के लिए सारा देश तालियाँ बजा रहा था , उन्हीं के साथ कुछ लोग दुर्व्यवहार कर रहे हैं। आप अंदाज लगाईए कि भारतीय जनता की सेवा में लगे 50 डाक्टर और नर्सें खुद कोरोना वायरस के शिकार हो चुके हैं। कोरोना वायरस से बचने के लिए सरकार 13 मार्च से सारे देशवासियों को सावधान कर रही है। अगर सरकार की बताई एहतियातों का पालन नहीं करके कोई कोरोना वायरस से पीड़ित हो जाता है तो डाक्टर उन्हें बचाने की कोशिश ही तो कर सकते...

  • पर्यटन वीजा दे कर सरकार का सोया रहना

    जब से भारत के ग्यारह राज्यों में तबलीगी जमात के कारण बड़े पैमाने पर कोरोना वायरस फैलने की खबर आई है तब से तबलीगी जमात कौतुहल का विषय बन गई है। कांग्रेस के नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने अपने ट्विट में लिखा है कि उम्मींद करनी चाहिए कि इस संगठन का किसी अवांछित संगठन से सम्बन्ध नहीं होगा| उन के कहने का आशय है कि उम्मीद करनी चाहिए कि तबलीगी जमात का इस्लामिक आतंकवादी संगठन से सम्बन्ध नहीं होगा। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि तबलीगी जमात आतंकवादी संगठनों से भी ज्यादा खतरनाक है क्योंकि यह इस्लामिक कट्टरता को...

  • तबलीगी मरकज की जांच जरूरी

    केजरीवाल सरकार ने नरेंद्र मोदी के लाकआउट का बंटाधार कर दिया। पहले शाहीन बाग़ , फिर मजदूरों , कर्मचारियों का सामूहिक पलायन और अब निजामुद्दीन में तबलीगी जमात के मरकज में 441 लोगों में कोरोना वायरस के लक्ष्ण पाया जानापहली नजर में केजरीवाल प्रसाशन की लापरवाही दिखाई देती है। भले ही कम से कम इस मामले में केजरीवाल खुद जिम्मेदार नहीं हों , लेकिन प्रसाशन की लापरवाही की जिम्मेदारी उन पर ही आती है। केजरीवाल के स्वास्थ्य मंत्री सतेन्द्र जैन ने कहा है कि सरकार को यह जानकारी 28 मार्च को तब मिली थी जब वहां छह लोगों को खांसी...

  • लाकडाउन बाद की भगदड़ के लिए कौन जिम्मेदार?

    देश भर में 21 दिन का लाकडाउन लागू होने के तीसरे दिन ही दिल्ली में अफरा तफरी मच गई। एक तरफ ऐसी अफवाहों का बाज़ार गर्म था कि लाकडाउन अवधि आगे भी बढ़ेगी तो दूसरी तरफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल उन लाखों मजदूरों के खाने-पीने का इंतजाम करने में पूरी तह विफल साबित हो रहे थे। पहले दिन तो उन्होंने सिर्फ 20 हजार दिहाड़ी मजदूरों के लिए खाने की व्यवस्था की थी जबकि जरूरत कम से कम चार लाख लोगों के लिए भोजन की थी। यह अहसास उन्हें दुसरे दिन हुआ तो उन्होंने 2 लाख लोगों के भोजन की...

  • कांग्रेस हो सकेगी कोरोना मुक्त?

    नरेंद्र मोदी ने 22 मार्च का जनता कर्फ्यू का जब आह्वान किया था तो सारा देश शाम 5 बजे इस संकट की घड़ी ने जनता की सेवा करने वालों का आभार करने के लिए तालियाँ, थालियाँ और घंटियां शंख बजा रहा था। शरद पवार मुम्बई में, नवीन पटनायक भुवनेश्वर में , केसीआर और जगनमोहन रेड्डी हैदराबाद में इस हवन में शामिल थे। सिर्फ सोनिया गांधी और राहुल गांधी कहीं दिखाई नहीं दिए। हालांकि खुद राहुल गांधी में फरवरी मध्य में देश को इस खतरे से आगाह किया था। उन्हें तब तक यह नहीं पता था कि कोरोना वायरस उन की...

  • सांसदी-विधायकी से इस्तीफे की राजनीति

    अप्रैल में रिटायर होने वाले 55 राज्यसभा सदस्यों में से15 भाजपा के और 13 कांग्रेस के हैं| दोनों को तीन-चार सीटों का नुक्सान होगा ,जबकि तृणमूल कांग्रेस और वाईआरएस कांग्रेस की सीटें बढ़ेंगी। कांग्रेस को असम, आंध्र ,तेलंगाना , उड़ीसा , मेघालय , हिमाचल से आठ सीटों का नुक्सान है , जिस की भरपाई इन राज्यों से नहीं हो सकती।  कांग्रेस को उम्मींद थी कि राजस्थान से -2, गुजरात से-1 और मध्य प्रदेश से भी 1 सीट ज्यादा मिलने के कारण 4 सीटों की भरपाई हो जाएगी। इस तरह उसके सिर्फ 4 सदस्य घटेंगे , मौजूदा 46 से घट कर...

  • दादी की पार्टी में शामिल पोता

    सिंधिया परिवार का राजनीतिक सफर 1957 में कांग्रेस से ही शुरू हुआ था, जब जवाहर लाल नेहरू ने ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी विजयाराजे सिंधिया को गुना-शिवपुरी से लोकसभा टिकट दिया था। नेहरू के जमाने में राजमाता 1957 और 1962 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस टिकट पर ही जीती थीं। नेहरू की मौत के बाद जब 1967 आते-आते कांग्रेस की बागडौर इंदिरा गांधी के हाथ में आई थी, तो विजया राजे ने कांग्रेस छोड़ कर 1967 का लोकसभा चुनाव स्वतंत्र पार्टी के टिकट पर जीता। लेकिन उनके गृह राज्य मध्य प्रदेश में जनसंघ बड़े दल के रूप में उभरा था इसलिए राजमाता...

  • दादागिरी वाली भाषा और सदन की गरिमा

    लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने जो कहा, वह किया। उन्होंने सदन में कहा था कि अगर कोई भी सदस्य अपने बेंचों की सीमा लांघ कर सामने वाले पक्ष के बेंचों की ओर जाएगा तो वह उसे सत्र की शेष अवधि के लिए निलम्बित करेंगे। उनकी इस चेतावनी के एक घंटे बाद ही कांग्रेस के सदस्य अपने नेता अधीर रंजन चौधरी की अगुवाई में सत्ताधारी बेंचों की तरफ वेल में चले गए। अपन को भी संसद की कार्यवाही को कवर करते और देखते 27 साल हो गए। अपन ने कभी भी विपक्ष के नेता को वेल में जाते नहीं देखा था।...

  • खुद का भंडा फोड़ रही यूएनएचआरसी

    यूएनएचआरसी यानी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद या तो भारत के अपने वामपंथी मित्रों और उनके झोलाछाप गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के बहुत ज्यादा प्रभाव में है या फिर पाकिस्तान के इशारे पर काम कर रही है। उसने भारत की सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन क़ानून की संवैधानिक वैधता पर दायर मुकद्दमे में खुद को पार्टी बनाने की याचिका दाखिल करने का फैसला किया है। अगर वह अपने भारतीय वामपंथी एनजीओ के सलाहाकारों की सलाह पर यह कदम उठा रहा है, तो वह भारी गलती कर रहा है क्योंकि उसके गुजरात के संबंध में लगाए गए सारे आरोप भी गलत साबित...

  • दंगों पर बहस के लिए संसद में दंगा

    पांच साल की वाह-वाही के बाद नरेंद्र मोदी पहली बार गम्भीर मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। जैसे ही वह भाजपा के कोर मुद्दों पर आए हैं 2002 से 2014 वाली नफरत की राजनीति फिर शूरू हो गई है। महाराष्ट्र और झारखंड में सत्ता से बाहर होने और हरियाणा में जोड़-तोड़ की सरकार बनने से मोदी पर शुरू हुआ राहु काल दिल्ली के दंगों तक आ पहुंचा है। दिल्ली के दंगों ने मुर्दा विपक्ष में इतनी जान फूंक दी है कि भारी बहुमत के बावजूद मोदी सरकार संसद नहीं चला पा रही। पहले लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा के सभापति शोर...

  • कपिल मिश्रा और ताहिर हुसैन

    दिल्ली में कपिल मिश्रा हिन्दुओं के और ताहिर हुसैन मुसलमानों का चेहरा बन गए हैं। भाजपा कह रही है कि हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा के पीछे आम आदमी पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन का हाथ है , जिस के घर में पत्थरों, इटों और तेज़ाब का जाखीरा पकड़ा गया है। आई बी अफसर अंकित शर्मा के घर वालों ने आरोप लगाया है कि हत्या ताहिर हुसैन ने की थी। अंकित शर्मा का शव ताहिर हुसैन के घर के साथ ही गंदे नाले में मिला था| सोशल मीडिया पर एक वीडियो चल रहा है जिसमें उस नाले और ताहिर हुसैन के...

  • जाफराबाद मुस्लिम-दलित गठजोड़ का खतरा

    शाहीन बाग़ में हो रहे धरने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सही कहा था , यह प्रदर्शन एक संयोग नहीं , एक प्रयोग है। कर्नाटक , महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश में हू-ब-हू शाहीन बाग़ दोहराया गया और रविवार को दिल्ली में ही जाफराबाद और चाँद बाग़ दोहराया गया। असदुद्दीन ओवेसी ने कहा था कि अगर पुलिस ने जबरदस्ती की तो शाहीन बाग़ जलियांवाला बाग़ बनेगा। औरतों और बच्चों को आगे कर के मुस्लिम कट्टरपंथियों की रणनीति शाहीन बाग़ को जलियांवाला बाग़ बनवाने की थी। शाहीन बाग़ की तरह अब चाँद बाग़ को चुना गया है , जाफराबाद भी दिल्ली का मुस्लिम...

  • दादियों-नानियों के कान कौन भर रहा?

    शाहीन बाग़ में बैठे प्रदर्शनकारियों ने सुप्रीमकोर्ट की ओर से भेजे गए वार्ताकारों साधना रामचंद्रन और संजय हेगड़े के सामने भी महिलाओं को आगे कर दियाऔर वे नागरिकता संशोधन क़ानून वापस लेने तक एक ईंच भी नहीं हटने पर अड़ी रहीं। नतीजा नहीं निकलना था और नहीं निकला। वार्ता अभी और चार दिन जारी रहेगी| देश की सहानुभूति हासिल करने के लिए अम्माओं, दादियों , नानियों वाला लेफ्ट का नरेटिव चला हुआ है। वार्ता कर के बाहर निकली साधना रामचंद्रन ने भी दादियों शब्द का इस्तेमाल किया। अनपढ़ बूढ़ी औरतों को सामने रख कर संविधान की लड़ाई लडी जा रही...

  • सुप्रीम कोर्ट के रूख से धरने का क्या होगा?

    शाहीन बाग़ का धरना किसी पर अब कोई असर नहीं डाल रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह दोनों साफ़ साफ़ कह चुके हैं कि न 370 वापिस बहाल होगी, न ट्रिपल तलाक बहाल होगा और न सरकार नागरिकता संशोधन क़ानून से पीछे हटेगी। अमित शाह ने बातचीत का न्योता दे कर धरने से उठ जाने का अच्छा मौका दिया हुआ है। पर धरने का कोई कर्ता धर्ता  न होने के कारण बातचीत करने वाली टीम तय नहीं हो पा रही। संवैधानिक पदों पर बैठे जिम्मेदार लोग इस तरह भीड़ से मुलाक़ात नहीं किया करते। अमित शाह ने...

  • नवीन पटनायक के रास्ते पर केजरीवाल

    अरविंद केजरीवाल ने तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण कर के तिकडमी राजनीति के झंडे गाड  दिए हैं| जो लोग समझते थे कि अन्ना हजारे के आन्दोलन से उठा बुलबुला है , झाग की तरह बैठ जाएगा , उनका आकलन गलत साबित हुआ। अलबत्ता केजरीवाल को आँखे दिखाने वाले प्रशांत भूषण , योगेन्द्र यादव , मयंक गांधी , प्रो.आनन्द कुमार झाग की तरह बैठ गए। केजरीवाल ने लोकपाल बनाने का अन्ना हजारे का सपना चकनाचूर कर दिया>बहुतेरे लोगों ने अन्ना हजारे के कान भर कर केजरीवाल के खिलाफ बयान भी दिलवाए ,पर अन्ना हजारे का विरोध भी केजरीवाल का...

  • वन मैन आर्मी ने मचाई सभी दलों में खलबली

    राजनीतिक दल अपराधियों को टिकट देने और पदाधिकारी बनाने से बाज नहीं आ रहे। 2004 में 24 प्रतिशत सांसदों की पृष्ठभूमि आपराधिक थी, 2009 में ऐसे सांसदों की संख्या बढ़कर 30 प्रतिशत, 2014 में 34 प्रतिशत और मौजूदा लोकसभा में 43 पर्सेंट सांसदों के खिलाफ गम्भीर अपराध के मामले लंबित हैं। इस पर न तो कोई राजनीतिक दल गम्भीर है, न सरकार। चुनाव आयोग सिफारिशे करके थक गया, अदालत क़ानून बनाने का निर्देश दे कर थक गईं। लेकिन एक शख्स है जो राजनीति और समाज में शुद्धिकरण के लिए लगातार लड़ रहा है। वह है दिल्ली प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता...

  • अब निगाह बिहार और नीतीश पर

    भाजपा विरोधियों में एक बात तो है, अगर वे खुद हार जाएं पर भाजपा न जीते, तब भी वे ताली बजाने लगते हैं। बेगाने की शादी में अब्दुल्ला दीवाना। पी. चिदम्बरम का कुछ यही हाल है। कांग्रेस का पिछली बार की तरह, इस बार भी दिल्ली में खाता नहीं खुला। लेकिन पी चिदंबरम ने ट्वीट करते हुए भाजपा को हराने के लिए दिल्ली को लोगों को सेल्यूट किया। चिदंबरम ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'आप की जीत हुई और धोखेबाज हार गए। दिल्ली के लोग, जो कि भारत के सभी हिस्सों से ताल्लुक रखते हैं, ने भाजपा के ध्रुवीकरण, विभाजनकारी...

  • बाल संरक्षण इकाईयों को भी तलब करे सुप्रीमकोर्ट

    सुप्रीमकोर्ट को राजनीति करने की जरूरत नहीं थी। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले सुप्रीमकोर्ट ने यह कह कर शाहीन बाग़ के धरने पर टिप्पणी नहीं की थी कि वह क्यों राजनीति में शामिल होलेकिन शाहीन बाग़ में जिस तरह बच्चों का इस्तेमाल किया गया , उस पर तो चुनाव से पहले टिप्पणी की जा सकती थी जो सुप्रीमकोर्ट ने 58 दिन बाद दस फरवरी को की| सुप्रीमकोर्ट ने अभी भी धरने पर कोई एक्शन नहीं लिया है , अलबत्ता दोनों सरकारों को नोटिस जारी किया है। चुनावों के दौरान धरने से कन्नी काटते हुए अरविन्द केजरीवाल ने कहा था कि...

  • यह गांधी-गोडसे नहीं, गांधी-सुभाष है

    आज़ादी के बाद से एकतरफ़ा इतिहास पढाया जाता रहा। हालांकि शुरू में जनमत के दबाव में स्कूली पाठ्यक्रम की किताबो में सुभाष चन्द्र बोस, भगत सिंह, राज गुरु, सुखदेव, चन्द्रशेखर आज़ाद जैसे लोकप्रिय क्रान्तिकारियों का गांधी के बराबर ही जिक्र होता था। इतिहास की पाठ्य पुस्तकों में  गैंदा लाल दीक्षित , राम प्रशाद बिस्मिल, रास बिहारी बोस, शचीन्द्र नाथ सन्याल , सन्यासी विद्रोह, सन्याल विद्रोह, कूका विद्रोह का विस्तार से उल्लेख होता था। 1857 के रणनीतिकार तात्या टोपे और मंगल पाण्डेय सहित 84 क्रांतिकारियों का भी जिक्र होता था| यहाँ तक कि वीर सावरकर भी पाठ्य पुस्तकों में शामिल थे,...

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