कृषि कानूनों
मैं उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से प्रधानमंत्री द्वारा तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का तहे दिल से स्वागत करता हूं।
सभी किसान मित्रों से अपने खेतों और परिवारों को घर लौटने और इस शुभ अवसर पर एक नई शुरुआत करने का अनुरोध किया
तीन कानून किसानों के लाभ के लिए थे लेकिन हम सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद किसानों के एक वर्ग को मना नहीं सके।
पंजाब में जारी संकट और प्रदेश कांग्रेस में हंगामे के बीच मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने राजधानी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की।
किसान आंदोलन को चलते-चलते आज छह महिने पूरे हो गए हैं। ऐसा लगता था कि शाहीन बाग आंदोलन की तरह यह भी कोरोना के रेले में बह जाएगा लेकिन पंजाब, हरयाणा और पश्चिम उत्तरप्रदेश के किसानों का हौसला है कि अब तक वे अपनी टेक पर टिके हुए हैं। उन्होंने आंदोलन के छह महिने पूरे होने पर विरोध-दिवस आयोजित किया है। अभी तक जो खबरें आई हैं, उनसे ऐसा लगता है कि यह आंदोलन सिर्फ ढाई प्रांतों में सिकुड़कर रह गया है। पंजाब, हरयाणा और आधा उत्तरप्रदेश। इन प्रदेशों के भी सारे किसानों में भी यह फैल पाया है नहीं, यह भी नहीं कहा जा सकता। यह आंदोलन तो चौधरी चरणसिंह के प्रदर्शन के मुकाबले भी फीका ही रहा है। उनके आहवान पर दिल्ली में लाखों किसान इंडिया गेट पर जमा हो गए थे। यह भी पढ़ें: ये बादशाहत जरुरी नहीं दूसरे शब्दों में शक पैदा होता है कि यह आंदोलन सिर्फ खाते-पीते या मालदार किसानों तक ही तो सीमित नहीं है ? यह आंदोलन जिन तीन नए कृषि-कानूनों का विरोध कर रहा है, यदि देश के सारे किसान उसके साथ होते तो अभी तक सरकार घुटने टेक चुकी होती लेकिन सरकार ने काफी संयम से काम लिया है। उसने… Continue reading सरकार और किसान बात करें
कृषि कानूनों (Agricultural law) के खिलाफ हो रहे किसान आंदोलन (Kisan Agitation) को 134 दिन बीत जाने के बाद गाजीपुर बॉर्डर (Ghazipur Border) पर किसानों की संख्या अब बेहद कम होती नज़र आ रही है।
कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन को महीनों हो चुके हैं। शुरूआत में बॉर्डर पर बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं की भागीदारी नजर आई।
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की महापंचायतों का दौर जारी है। इसी क्रम में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत डोईवाला देहरादून की महापंचायत में शामिल होंगे।
केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के रूप में प्रदर्शनकारी किसान आज सुबह 11 बजे से लेकर शाम के 4 बजे तक केएमपी एक्सप्रेसवे (कुंडली-मानेसर-पलवल) पर नाकाबंदी करेंगे।
कृषि कानूनों के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन में तीन महीने बाद किसानों का गुस्सा फूटने लगा है। गाजीपुर बॉर्डर स्थित मुख्य सड़कें बंद होने और किसानों को मिल रहे नोटिसों पर सरकार और पुलिस
भारतीय जनता पार्टी की कोरोना काल के बाद आज हुई सबसे बड़ी बैठक को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया। इसमें राष्ट्रीय पदाधिकारियों से लेकर प्रदेशों के सभी अध्यक्ष और संगठन महामंत्रियों ने हिस्सा लिया।
कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन चल रहा है, ऐसे में अभिनेत्री गुल पनाग आज किसानों के समर्थन में गाजीपुर बॉर्डर पहुंची।
पिछले साल लागू किए गए तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के 83वें दिन आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया कि इन कानूनों से छोटे और सीमांत किसानों को सबसे ज्यादा फायदा होगा।
कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। ऐसे में आज वसंत पंचमी के मौके पर गाजीपुर बॉर्डर पर होली के त्योहार को देखते हुए 5 लकड़ी और उबले रखे गए हैं जिससे होलिका दहन किया जाएगा।
भारतीय किसान यूनियन(बीकेयू) नेता राकेश टिकैत ने कहा कि अगर सरकार तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती है तो किसान प्रदर्शन अनिश्चितकाल तक के लिए चलेगा।