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कांग्रेस छोड़ने वालों की चांदी

कांग्रेस पार्टी छोड़ने वालों की मौज है। दूसरी पार्टियां उनके हाथों हाथ ले रही हैं। भाजपा के साथ साथ कांग्रेस की अपनी सहयोगी पार्टियां भी इसके लिए तैयार बैठी हैं।

कांग्रेस छोड़ कर जाने वालों की पूछ

कांग्रेस छोड़ कर दूसरी पार्टियों में जाने वालों की पूछ बढ़ गई है। पिछले छह महीने के घटनाक्रम ने कांग्रेस नेताओं की बेचैनी बढ़ाई है।

केंद्रीय मंत्री का पदभार ग्रहण करते ही ज्योतिरादित्य सिंधिया क्यों करने लगे अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस का गुणगान..

दिल्ली |  बुधवार शाम यानी 7 जुलाई को मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ था। उसमें कई नए चेहरे देखने को मिले है। जिनमें से एक ज्योतिरादित्य सिंधिया भी है। ज्योतिरादित्य सिंधिया को सिविल एविएशन का प्रभार मिला है। ( jyotiraditay fb account hacked )  इसकी कमान ज्योतिरादित्य सिंधिया को सौंपी गई है। पदभार ग्रहण करते ही ज्योतिरादित्य सिंधिया का फेसबुक अकाउंट हैक हो गया है। अकाउंट हैक होने के बाद किसी ने उनके FB पेज पर पुराना वीडियो शेयर किया है। इस वीडियों में ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस की तारीफ करते नज़र आ रहे है। यह पुराना वीडियो किसने अपलोड किया है, अकाउंट को हैक करने वाला कौन था इसका अभी तक पता नहीं चल पाया है। लेकिन इसकी छानबीन की जा रही है। यह तो सभी को पता ही है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया सोशल मीडिया पर कितने एक्टिव रहते है।  उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स पर उनसे जुड़ी पल-पल की खबर अपडेट होती रहती है also read: Rajasthan : गहलोत सरकार ने दिया शिक्षकों को बड़ा तोहफा, 50 साल बाद बदला शिक्षा विभाग का ढांचा , जानें इसके फायदे रात 1 बजे शेयर किया गया वीडियो ( jyotiraditay fb account hacked ) भोपाल के बीजेपी नेता और सिंधिया समर्थक… Continue reading केंद्रीय मंत्री का पदभार ग्रहण करते ही ज्योतिरादित्य सिंधिया क्यों करने लगे अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस का गुणगान..

अब जल्दी मंत्रिमंडल का विस्तार?

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार का विस्तार अब जल्दी हो जाएगा। भाजपा के जानकार सूत्रों का कहना है कि उत्तराखंड के घटनाक्रम के बाद अब जल्दी से जल्दी विस्तार होना तय है ताकि उधर से लोगों का ध्यान हटे। पहले कहा जा रहा था कि चार जुलाई को कैबिनेट विस्तार हो सकता है। लेकिन चूंकि चार जुलाई को उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री की शपथ हो सकती है इसलिए उसी दिन कैबिनेट विस्तार का काम शायद नहीं हो। सो, अब आठ जुलाई की तारीख बताई जा रही है। वैसे भी यह चर्चा आम है कि 19 जुलाई से शुरू होने वाले मॉनसून सत्र से पहले मोदी सरकार का विस्तार होगा। मंत्री बनने वाले संभावित नेता दिल्ली में डटे हैं और शुभ मुहूर्त का इंतजार कर रहे हैं। उत्तराखंड में नए मुख्यमंत्री के बाद राज्य के युवा नेता अनिल बलूनी को मंत्री बनाए जाने की चर्चा है। वे मंत्री बनेंगे तो पार्टी को नया राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी नियुक्त करना होगा। ज्योतिरादित्य सिंधिया, सर्बानंद सोनोवाल, सुशील मोदी, वरुण गांधी, दिलीप घोष, मीनाक्षी लेखी जैसे अनेक भाजपा नेताओं की चर्चा चल रही है। इनके अलावा अपना दल की अनुप्रिया पटेल और जदयू के तीन नेताओं- राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह, रामनाथ ठाकुर और संतोष… Continue reading अब जल्दी मंत्रिमंडल का विस्तार?

सिंधिया को सीट की तलाश

कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में गए ज्योतिरादित्य सिंधिया ( bjp leader jyotiraditya scindia ) का केंद्र सरकार में मंत्री बनने का सपना अभी पूरा नहीं हुआ है लेकिन अभी से उनको अपनी लोकसभा सीट की चिंता सताने लगी है। भाजपा ने उनको पिछले साल राज्यसभा में भेजा तब से वे मंत्री बनने की आस में हैं। इस बीच वे प्रदेश के कई अलग अलग इलाकों का दौरा कर रहे हैं ताकि अगले लोकसभा चुनाव के लिए एक सुरक्षित सीट तलाश सकें। उनके परिवार की पारंपरिक सीट रही ग्वालियर सीट पर भाजपा के विजय सिंह शेजवलकर इस समय सांसद हैं। पिछली लोकसभा में नरेंद्र सिंह तोमर इस सीट से जीते थे। तोमर खुद मुरैना सीट से जीते हैं। लेकिन उनकी नजर भी ग्वालियर पर रहेगी। यह भी पढ़ें: ये बदलाव गौरतलब है यह भी पढ़ें: छोटे हमले, बड़े आयाम इसी तरह सिंधिया के परिवार ( bjp leader jyotiraditya scindia) की दूसरी पारंपरिक सीट गुना है, जहां से वे खुद जीतते रहे हैं। पिछली बार भाजपा की टिकट पर कृष्ण पाल यादव ने उनको हराया था। उससे पहले वे तीन बार इस सीट से जीते थे और उनसे पहले उनके पिता इस सीट से जीतते थे। उनको इस बात की चिंता है… Continue reading सिंधिया को सीट की तलाश

जितिन प्रसाद प्रसंग : ‘राजनीति आज’ का सत्य

जितिन प्रसाद प्रसंग : सीधे-सरल शब्दों में इजराइल ने एकजुट होने की इच्छाशक्ति हासिल की और ऐसा पार्टियों द्वारा पुरानी मान्यता, जिद्द-स्वार्थों को छोड़ कर हुआ। यह एकता, “आओ, मिल कर बेंजामिन नेतन्याहू को बाहर करें” के बीज मंत्र पर थी। इस तरह, इजराइल ने एकजुटता पाई, संकल्प पाया जबकि भारत में विपक्ष परत दर परत खोता हुआ। यह भी पढ़ें: ब्लू टिक… वक्त को खाता नया नशा! कुछ साल पहले जितिन प्रसाद से एक कम प्रभाव वाली निस्तेज हस्ती के रूप में सामना हुआ था। वे बनारस की एक उड़ान पकड़ने के लिए लाइन में थे। उनके बारे में सुना कम था लेकिन वे कांग्रेस के ‘ब्राह्मण चेहरे’ हैं, यह पता था। उस नाते उन्हें 2017 चुनाव में पार्टी के लिए प्रचार करने, लोगों को यकीन दिलाने और मूड बनाने का जिम्मा मिला था। जी हां, नोटबंदी बाद वाला वहीं चुनाव, जिसमें ‘करेंसी’ कम हो पवित्र-सफेद बन गई थी, और नरेंद्र मोदी की अपराजेयता जस की तस। जितिन प्रसाद धुले हुए, इस्त्री किए, अच्छे कड़क कपड़े पहने हुए चिंताविहीन और परेशानी से मुक्त लगे थे। लेकिन वे जानते थे तभी निश्चिंत-शांत भाव कहना था नुकसान तय है… कोई अवसर नहीं! सुन कर साथी यात्री की टिप्पणी थी, “कांग्रेस के… Continue reading जितिन प्रसाद प्रसंग : ‘राजनीति आज’ का सत्य

रेल, कृषि, कानून मंत्रालय पर दावेदारी

अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार में फेरबदल या विस्तार करने का ऐलान नहीं किया है लेकिन मंत्रालयों पर दावेदारी शुरू हो गई है। पता नहीं कैसे पर यह धारणा बन गई है कि रेल, कृषि और कानून मंत्रालय में बदलाव होगा। तभी इन तीन मंत्रालयों के दावेदार सबसे ज्यादा दिख रहे हैं। वैसे भी बिहार की सहयोगी जनता दल यू ने पहले से इस मंत्रालय की दावेदारी की हुई है। जदयू नेता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार काफी समय तक रेल मंत्री रहे हैं। बिहार के नेता लालू प्रसाद और रामविलास पासवान भी रेल मंत्री रहे हैं। सो, रेल मंत्रालय पर बिहार के नेता स्वाभाविक रूप से अपनी दावेदारी मानते हैं। इस बीच खबर है कि कांग्रेस से भाजपा में गए ज्योतिरादित्य सिंधिया भी रेल मंत्रालय चाहते हैं। उनके पिता दिवंगत माधव राव सिंधिया भी रेल मंत्री रह चुके हैं। हालांकि रेल के अलावा मानव संसाधन और शहरी विकास मंत्रालय भी उनकी पसंद है। यह भी पढ़ें: भारत-चीन का कारोबार डेढ़ गुना बढ़ा बहरहाल, रेल के अलावा बिहार की दावेदारी कृषि मंत्रालय पर भी है। ध्यान रहे बिहार के चतुरानन मिश्र, नीतीश कुमार और राधामोहन सिंह कृषि मंत्री रह चुके हैं। कहा जा रहा है कि बिहार के पूर्व… Continue reading रेल, कृषि, कानून मंत्रालय पर दावेदारी

कैसा होगा ‘मोदी मंत्रिमंडल’ का फेरबदल?

बीजेपी हर हालत में उत्तर प्रदेश का चुनाव दोबारा जीतना चाहेगी। लिहाज़ा उत्तर प्रदेश से कुछ चेहरों को ख़ास तवज्जो देते हुए मंत्री परिषद में शामिल किया जा सकता है। प्रधानमंत्री की यह कवायद ठीक 2016 की की तरह होगी उस समय भी 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मंत्रिमंडल में बड़ा फेरबदल और विस्तार किया गया था। इस बार भी ऐसा ही कुछ होने की उम्मीद लगती है। लेखक: यूसुफ़ अंसारी सत्ता के गलियारों से लेकर राजनीतिक हलक़ों में चर्चा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल और उसका विस्तार करने वाले हैं। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दो साल पूरे हो चुके हैं। अभी तक मंत्रिपरिषद में न तो कोई फेरबदल हुआ है और नही कोई विस्तार। इस संभावित पहले विस्तार को लेकर अटकलें लग रही हैं कि पीएम मोदी कॉसमेटिक सर्जरी से ही काम चलाएंगे या फिर बड़ी चीरफाड़ करके अपनी सरकार का चेहरा बदल कर इसे और प्रभावी दिखाने की कोशिश करेंगे। शुक्रवार को प्रधानमंत्री ने गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ इस बारे में देर तक चर्चा की बताते है। बताया जा रहा है कि पिछले दो दिन से पीएम मोदी ने कई मंत्रियों… Continue reading कैसा होगा ‘मोदी मंत्रिमंडल’ का फेरबदल?

फेरबदल या ध्यान भटकाना?

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में फेरबदल की चर्चा एक बार फिर शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री मंत्रालयों की समीक्षा कर रहे हैं और उनके साथ पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद रह रहे हैं। इसका मतलब है कि प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष दोनों मंत्रियों के कामकाज की रिपोर्ट ले रहे हैं ताकि उनके प्रदर्शन का आकलन करके सरकार में फेरबदल का फैसला हो। दूसरी ओर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहयोगी दलों के नेताओं से मिल रहे हैं और उनकी मांगों पर विचार कर रहे हैं। मोदी के साथ शाह और नड्डा की बैठक से भी यह संकेत मिला कि सरकार में फेरबदल की तैयारी हो रही है। लेकिन क्या सचमुच इस बार मोदी सरकार का विस्तार होगा या इस बार की चर्चाएं भी फॉल्स अलार्म साबित होंगी? ध्यान रहे 30 मई 2019 को दूसरी बार शपथ लेने के बाद से ही सरकार में फेरबदल की चर्चा हो रही है। उसके बाद एक एक करके अनेक मंत्रियों के पद खाली हो गए। शिव सेना के अरविंद सावंत और अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल सरकार से बाहर हो गए तो रामविलास पासवान और सुरेश अंगडी का निधन हो गया। एक दर्जन नेता एक या दो से ज्यादा मंत्रालयों के… Continue reading फेरबदल या ध्यान भटकाना?

आस लगाए बैठे हैं कई नेता

पता नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सरकार का विस्तार कब करेंगे, तब तक कई नेता आस लगाए बैठे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया तो एक साल से ज्यादा समय से केंद्रीय मंत्री बनने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। पिछले साल मार्च में उन्होंने कांग्रेस से दलबदल करा कर मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनवाई थी। उसके बाद से 14 महीने इंतजार में बीत गए। लंबे समय तक बीजू जनता दल में रहे बैजयंत जय पांडा भी दो बरस से ज्यादा समय से इंतजार कर रहे हैं। वे भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और उनको भी उम्मीद है कि इस बार कैबिनेट विस्तार में मौका मिल सकता है। हालांकि वे अभी किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। इसलिए उनको मंत्री बनाने के लिए कहीं से राज्यसभा सीट का इंतजाम भी करना होगा। बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी को भी इंतजार करते हुए छह महीने हो गए। बिहार में जदयू और भाजपा की साझा सरकार बनी तो इस बार उनको उप मुख्यमंत्री नहीं बना कर राज्यसभा में भेजा गया। वे तब से मंत्री बनने का इंतजार कर रहे हैं। असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल भी राह देख रहे हैं। उनके पांच साल के कामकाज के नाम पर इस बार असम… Continue reading आस लगाए बैठे हैं कई नेता

मोदी सरकार मंत्रिमंडल : फेरबदल कब?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सरकार में कब फेरबदल करेंगे? यह सवाल अब भाजपा नेताओं को परेशान करने लगा है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल की अटकलें लगाते लगाते नेता अब थकने लगे हैं और इस बारे में बात क

सिंधिया, सुशील मोदी का लंबा इंतजार

कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया और बिहार छुड़ा कर केंद्र की राजनीति में लाए गए सुशील कुमार मोदी का इंतजार क्या खत्म होगा? सिंधिया पिछले साल मार्च से इंतजार कर रहे हैं। उनके और उनके समर्थकों का धीरज छूट रहा है तभी पिछले दिनों 21 मई को पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी की पुण्यतिथि के मौके पर सिंधिया ने उनको आधुनिक भारत का निर्माता बताते हुए ट्विट किया। यह भी पढ़ें: मोदी मंत्रिमंडलः फेरबदल कब? हालांकि बाद में उन्होंने ट्विट बदल दिया और आधुनिक भारत का निर्माता बताने वाली बात हटा दी। लेकिन उन्होंने मैसेज दे दिया कि उनको राजीव गांधी को आधुनिक भारत का निर्माता बताते देर नहीं लगेगी। वैसे भी मध्य प्रदेश में दमोह सीट के उपचुनाव में तमाम जोर लगाने के बाद भी भाजपा के हारने और कांग्रेस की जीत ने भाजपा की चिंता बढ़ाई है। सो, सिंधिया का इंतजार खत्म होने की संभावना दिख रही है। यह भी पढ़ें: तीन विधायक, केंद्रीय मंत्री के दावेदार! सुशील मोदी के लिए पिछले साल नवंबर से कहा जा रहा है कि उनको बिहार से दिल्ली इसलिए लाया गया है ताकि उनको मंत्री बनाया जा सके। वे मंत्री बनना तो तय मान रहे हैं पर ट्विटर… Continue reading सिंधिया, सुशील मोदी का लंबा इंतजार

कौन-कौन बनेगा केंद्र में मंत्री?

दिल्ली में एक बार फिर गेसिंग गेम शुरू हो गया है कि केंद्र में कौन कौन मंत्री बनेगा। हालांकि सबको पता है कि नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद किसी पद के लिए जिसके नाम की ज्यादा चर्चा हो जाती है उसका पत्ता कट जाता है। फिर भी कई तरह की अटकलें चल रही हैं। नेता एक-दूसरे से जानकारी ले और दे रहे हैं। किसी को पक्की खबर नहीं है पर राजनीतिक समीकरण और राज्यों में सामाजिक संतुलन के समीकरण के हिसाब से कुछ नामों की अटकलें लगाई जा रही हैं। यह भी पढ़ें: मोदी मंत्रिमंडलः फेरबदल कब? दिल्ली की अटकलों के हिसाब से असम से सर्बानंद सोनोवाल का नाम पक्का माना जा रहा है और पश्चिम बंगाल से मुकुल रॉय के बनने की संभावना जताई जा रही है। कहा जा रहा है कि भाजपा आलाकमान की नजर पूर्वी भारत पर है इसलिए असम, बंगाल, ओड़िशा से नए मंत्री जरूर बनेंगे। झारखंड से भी एक मंत्री बनना लगभग तय है। ध्यान रहे पार्टी राज्य में 12 सीटों पर जीती है और हमेशा दो मंत्री बनते रहे हैं, जिसमें से एक आदिवासी समुदाय से तो दूसरा गैर आदिवासी समुदाय से होता है। पिछली बार जयंत सिन्हा मंत्री थे। इस बार गैर… Continue reading कौन-कौन बनेगा केंद्र में मंत्री?

कांग्रेस से बाहर जाकर सीएम बनते नेता

अगर इस बात की पड़ताल की जाए कि सबसे ज्यादा किस पृष्ठभूमि का लोग मुख्यमंत्री हैं तो हैरान करने वाला नतीजा आएगा। इस समय भले 18 राज्यों में भाजपा या उसकी सहयोगी पार्टियों की सरकार है पर हकीकत यह है कि देश में इस समय सबसे ज्यादा मुख्यमंत्री कांग्रेस की पृष्ठभूमि वाले हैं। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की पृष्ठभूमि वालों के मुकाबले ज्यादा मुख्यमंत्री ऐसे हैं, जो या तो कांग्रेस के हैं या कांग्रेस छोड़ कर दूसरी पार्टी में गए हैं या कांग्रेस से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई है। इस कड़ी में सबसे ताजा नाम हिमंता बिस्वा सरमा का है। उन्होंने तो महज छह साल पहले ही कांग्रेस छोड़ी। राहुल गांधी की अनदेखी से नाराज होकर उन्होंने 2015 में कांग्रेस छोड़ी थी और सोमवार को उन्होंने असम के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। भाजपा ने उनको मुख्यमंत्री बनाया है। इसी महीने में दो और नेताओं ने मुख्यमंत्री पद की शपथ, जो पहले कांग्रेस में थे। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और पुड्डुचेरी में एन रंगास्वामी ने इस महीने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। ये दोनों पहले कांग्रेस में थे और कांग्रेस से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई थी। कांग्रेस से अलग होने के बाद रंगास्वामी दूसरी बार और ममता बनर्जी… Continue reading कांग्रेस से बाहर जाकर सीएम बनते नेता

हिमंता को नहीं बीरेंद्र सिंह को देखें सिंधिया

असम में हिमंता बिस्वा सरमा के मुख्यमंत्री बनने के बाद कांग्रेस के कई नेताओं की उम्मीद जग गई है। उनको लग रहा है कि एक दिन उनकी भी किस्मत खुल सकती है। पर मुश्किल यह है कि कांग्रेस से भाजपा में जाकर मुख्यमंत्री बनने या प्रदेश अध्यक्ष बनने या किसी अहम पद पर पहुंचने के लिए नेता को अपनी उपयोगिता साबित करनी पड़ती है। जैसे हिमंता बिस्वा सरमा ने की। उन्होंने पार्टी को मजबूर किया कि वह उनको मुख्यमंत्री बनाए। उनसे पहले भी भाजपा पूर्वोत्तर में कांग्रेस के तीन नेताओं को मुख्यमंत्री बना चुकी है। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे पेमा खांडू पूरी पार्टी के साथ ही भाजपा में गए थे तो आज मुख्यमंत्री हैं। एन बीरेन सिंह और नेफ्यू रियो भी इसलिए मुख्यमंत्री बने क्योंकि भाजपा के पास उनका विकल्प नहीं था। यह स्थिति मध्य प्रदेश या महाराष्ट्र या उत्तर और पश्चिमी भारत के किसी दूसरे राज्य में नहीं है। इसलिए अगर ज्योतिरादित्य सिंधिया यह सोच रहे होंगे कि किसी दिन मध्य प्रदेश में उनकी भी किस्मत हिमंता की तरह चमक सकती है तो यह ख्याल उनको दिमाग से निकाल देना चाहिए। भाजपा ने तो पार्टी की संस्थापक रहीं राजमाता विजयराजे सिंधिया को कभी मुख्यमंत्री नहीं बनाया था तो… Continue reading हिमंता को नहीं बीरेंद्र सिंह को देखें सिंधिया

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