महंगाई
राज्य की जनता आज बदलाव चाहती है। अगले साल होने वाले चुनाव में प्रदेश को नई सरकार मिलना तय है।
बिजली का बिल जमा करना भी अब लोगों के बस की बात नहीं रही. लगभग सभी राज्यों में आम लोग बढ़ते बिजली बिल से परेशान हैं. कोयला नगरी झारखंड में तो हालात….
सरकार और आम लोगों के लिए राहत की खबर है। जुलाई के महीने में खुदरा महंगाई की दर छह फीसदी से नीचे आ गई है। सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक जुलाई में खुदरा महंगाई दर 5.59 फीसदी रही।
अमित शाह ने अपने खास अंदाज में घटना की क्रोनोलॉजी समझाते हुए कहा कि इस तरह की चीजों से कुछ लोग विकास को पटरी से उतारना चाहते हैं। मकसद तो सरकार ने बता दिया पर बड़ा सवाल है कि कौन ऐसा कर रहा है? सरकार उसका पता क्यों नहीं लगा रही है और सबसे बड़ा सवाल यह है कि संसद नहीं चलने का फायदा किसको होना है?
आम आदमी पार्टी को पंजाब में इस बार ज्यादा आक्रामक तरीके से चुनाव लड़ना है। तभी आप ने कृषि बिल पर चर्चा के लिए नोटिस दिया है। कायदे से कृषि कानूनों और किसानों का मुद्दा समूचे विपक्ष को साझा तौर पर उठाना चाहिए था। कांग्रेस, लेफ्ट, एनसीपी आदि पार्टियों को एक साथ मिल कर यह मुद्दा उठाना चाहिए था।
सरकार और भाजपा दोनों ने राज्यसभा को गंभीरता से लेने की जरूरत दिखाई। लोकसभा में वैसे भी विपक्ष के पास ज्यादा सांसद नहीं हैं और विपक्ष की पार्टियों के बीच तालमेल भी नहीं है। इसके मुकाबले राज्यसभा में बेहतर तालमेल है।
corona crisis parliament session : कोरोना वायरस की महामारी शुरू होने के बाद संसद चौथा सत्र शुरू होने वाला है। पिछले साल बजट सत्र के समय महामारी शुरू हुई थी और उसकी वजह से सत्र को समय से पहले खत्म कर दिया गया। उसके बाद जैसे तैसे पिछले साल मॉनसून सत्र का आयोजन हुआ और शीतकालीन सत्र टाल दिया गया। इस साल बजट सत्र का आयोजन हुआ लेकिन वह सत्र बहुत छोटा रहा। उसे भी केसेज बढ़ने की वजह से बीच में ही रोक दिया गया। अब फिर मॉनसून सत्र होने जा रहा है लेकिन ऐसा लग नहीं रहा है कि यह सत्र भी सामान्य रूप से चल पाएगा। क्योंकि इसका आयोजन भी कोरोना काल के ऐसे प्रोटोकॉल के तहत हो रहा है, जिससे संसदीय कार्यवाही न तो पूरी तरह से वर्चुअल बन पाती है और न पूरी तरह से ऑफलाइन हो पाती है। यह भी पढ़ें: कृषि कानून क्यों नहीं बदल रही सरकार? सबसे हैरान करने वाली बात है कि देश में 16 जनवरी से टीकाकरण का अभियान चल रहा है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 60 साल से ऊपर के लोगों के लिए टीकाकरण शुरू होने के बाद एक मार्च को टीके की पहली डोज लगवा ली… Continue reading कोरोना काल में संसद
Opposition attacks in parliament : इस समय देश में आम लोगों से जुड़े इतने मुद्दे हैं कि अगर संसद में विपक्ष उन मुद्दों को गंभीरता से उठाए तो सरकार बैकफुट पर जा सकती है। पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। खाने-पीने की चीजों की महंगाई रिकार्ड स्तर पर है। लगातार दो महीने खुदरा महंगाई की दर छह फीसदी से ऊपर रही है। बेरोजगारी रिकार्ड स्तर पर है। किसान आंदोलन चल रहा है और सरकार उसे खत्म कराने के लिए कुछ नहीं कर रही है। उधर सीमा पर चीन लगातार अपने को मजबूत कर रहा है। उसने भारत की कब्जाई जमीन खाली नहीं की है। पैंगोंग झील से पीछे हटने के बाद वह बाकी इलाकों में डट कर बैठा है, जिसकी वजह से सरकार को सेना की तैनाती बढ़ानी पड़ी है। अफगानिस्तान के हालात से भारत की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हुआ है। कोरोना महामारी की दूसरी लहर खत्म नहीं हो रही है और देश में वैक्सीनेशन की रफ्तार एक बार फिर धीमी हो गई है। विपक्ष की ओर से ये मुद्दे उठाए भी जाएंगे, जैसे हर बार उठाए जाते हैं लेकिन वह संसदीय कार्यवाही की एक औपचारिकता जैसी होती है। यह भी… Continue reading कितने मुद्दे हैं पर विपक्ष!
inflation population : भारतीय जनता पार्टी पेट्रोल-डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों और खुदरा व थोक महंगाई में हो रही बढ़ोतरी से ध्यान भटकाने के उपाय में लग गई है। महंगाई के मुकाबले जनसंख्या का मुद्दा ला दिया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण नीति का मसौदा जारी कर दिया है। इस पर लोगों की राय ली जा रही है लेकिन यह तय है कि अगले साल होने वाले चुनाव से पहले जनसंख्या नियंत्रण कानून बना दिया जाएगा और दो बच्चों की नीति लागू कर दी जाएगी। उत्तर प्रदेश के साथ साथ असम ने भी इस तरह का कानून बनाने की शुरुआत हो गई है। गुजरात सरकार ने भी कहा है कि वह कानूनों का अध्ययन कर रही है और उसके बाद कदम उठाए जाएंगे। Read also: आर्थिकी को संभालने के छोटे-छोटे उपाय! Read also कावड़-यात्रा और महामारी inflation population इस बीच केंद्र सरकार के मंत्री गिरिराज सिंह ने एक आंकड़ा देकर बताया कि भारत में हर मिनट 32 बच्चे पैदा हो रहे हैं इसलिए जनसंख्या नियंत्रण कानून जरूरी है। अब खबर है कि भाजपा के कम से कम दो सांसद मॉनसून सत्र में दो बच्चों की नीति का प्राइवेट मेंबर बिल पेश करने वाले हैं। इस तरह से… Continue reading महंगाई के मुकाबले जनसंख्या का मुद्दा
inflation high fuel price : केंद्र सरकार के पास क्या बढ़ती महंगाई को रोकने की कोई योजना है या उसने सब कुछ भाग्य के सहारे छोड़ा हुआ है? यह यक्ष प्रश्न है क्योंकि महंगाई रोकने का मामला अर्थव्यवस्था के हर पहलू से जुड़ा है। उत्पादन से लेकर आपूर्ति शृंखला और लोगों की क्रय शक्ति बढ़ाने तक के सारे उपाय समग्रता में करने होंगे तभी महंगाई काबू में आएगी और लोगों की मुश्किलें कम होंगी। इसके उलट अभी लोगों की मुश्किलों के कई आयाम पैदा हो गए हैं। एक तरफ लोगों के पास काम-धंधे और रोजगार की कमी है तो दूसरी ओर पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस से लेकर खाने-पीने की वस्तुओं, निर्माण सामग्री और दूसरी जरूरी चीजों की कीमतें आसमान छू रही हैं। इसका नतीजा यह हुआ है कि लोग जरूरी खर्च में भी कटौती कर रहे हैं। भारतीय स्टेट बैंक की आर्थिक शाखा ने एक अध्ययन के आधार पर रिपोर्ट दी है कि महंगाई बढ़ने की वजह से लोग पेट्रोल और डीजल का खर्च पूरा करने के लिए स्वास्थ्य और खाने-पीने की जरूरी चीजों पर होने वाले खर्च में कटौती कर रहे हैं। स्टेट बैंक की इस रिपोर्ट के मुताबिक इस साल मार्च में पेट्रोल और डीजल पर होने वाला… Continue reading महंगाई रोकने की क्या योजना है?
अच्छे दिन का इंतजार : अगर आप जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटा कर उसका विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने, अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू होने, नागरिकता संशोधन कानून पास किए जाने, सेंट्रल विस्टा बनने और तीन तलाक को अवैध करने के कानून को अच्छे दिन का आना मानते हैं, फिर तो आपके लिए अच्छे दिन आ गए हैं। लेकिन जो लोग अच्छे दिन में पेट्रोल-डीजल के दाम कम होने, खाने के तेल-दाल की कीमतें घटने, रोजगार के नए अवसर बनने, चीन के साथ लगी सीमा के सुरक्षित होने की उम्मीद कर रहे थे तो उनका इंतजार लंबा होगा। यह भी कह सकते हैं कि उनका इंतजार शायद कभी खत्म नहीं होगा। क्योंकि आने वाले दिनों में न तो पेट्रोल और डीजल की कीमत पुराने दिनों वाली होनी है और न खाने-पीने की चीजों के दाम कम होने हैं और न रोजगार के अवसर बनने वाले हैं। सीमा पर चीन के भारतीय जमीन छोड़ कर वापस लौटने की तो उम्मीद छोड़ ही देनी होगी। यह भी पढ़ें: कश्मीर में उम्मीद की खिड़की! असल में भारत आर्थिक संकट के ऐसे दुष्चक्र में फंस गया है, जिसमें से उसका निकलना मुश्किल दिख रहा है। सरकार अगर पेट्रोल और डीजल… Continue reading अच्छे दिन का इंतजार अनंत!
Wholesale and retail inflation :बढ़ती कीमतों की वजह से खुदरा महंगाई छह महीने के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है तो थोक महंगाई भी रिकार्ड ऊंचाई पर पहुंच गई है..
नई दिल्ली। पेट्रोल और डीजल की लगातार बढ़ती महंगाई का भाजपा की सहयोगी जनता दल यू ने भी विरोध किया है। जदयू के प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने कहा है- पेट्रोल व डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी हमें चुभ रही है, हमें दर्द हो रहा है और भारत सरकार पेट्रोल डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी पर तत्काल रोक लगाए। गौरतलब है कि चार मई से लेकर अभी तक केंद्र सरकार की पेट्रोलियम कंपनियों ने दोनों ईंधनों के दाम में 24 बार बढ़ोतरी की है। इसे लेकर जदयू के प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने कहा- पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर सरकारी नियंत्रण बहुत जरूरी है। सरकार को कोई ऐसा उपाय करना चाहिए, जिससे पेट्रोल-डीजल की कीमत तय करने का अधिकार बाजार के हाथ में न हो। उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि राज्य सरकारों को वैट घटाना चाहिए। केसी त्यागी ने पेट्रोलियम पदार्थों पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों को टैक्स घटाने कहा। दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया कि महामारी के इस भयावह समय में तेल की कीमतों को बढ़ा कर सरकार आम लोगों से पैसे की उगाही कर रही है, जो सही नहीं है। कांग्रेस ने पिछले दिनों पेट्रोलियम उत्पादों की महंगाई को लेकर देश… Continue reading जदयू को चुभने लगी महंगाई
BIHAR: भारत में कोरोना वैक्सीनेशन का अभियान अभी चरम पर है। लेकिन भारत की ग्रामीण जनसंख्या वैक्सीन नहीं लगवा रही है। ग्रामीणों में वैक्सीनेशन को लेकर अभी भी खौफ बना हुआ है। कोरोना से लड़ने का सबसे बड़ा हथियार अभी वैक्सीन ही है। ताजा मामला बिहार के गांवों से जुड़ा है। यहां के लोगों का मानना है कि सरकार वैक्सीन का मोह छोड़े और मंहगाई कम करें। ग्रामीण जनता की असली समस्या कोरोना नहीं मंहगाई है। गांवों में वैक्सीन को लेकर अफवाह फैली है। ग्रामीणों के मन में यह विचार है कि कोरोना वैक्सीन लगवाने से मौत हो जाती है। ग्रामीण जनता का कहना है कि मर जाएंगे लेकिन वैक्सीन नहीं लगवाएंगे। जी न्यूज की एक टीम ने जब बिहार के गांव का दौरा किया तो कुछ बाते पता चली । इसे भी पढ़ें सवाल बच्चों का है हुजूर, बरतें सावधानी ! इस जिले से 1 महीने में मिले 10 हजार कोरोना संक्रमित बच्चे, उपायुक्त ने कहा-सतर्क रहने की जरूरत वैक्सीनेशन के लिए भ्रम क्यों बिहार के लोगों में यह डर बैठ गया है कि अगर कोरोना वैक्सीन लगवाई तो जान चली जाएगी। यह अफवाह भी पूरे गांव में फैल चुकी है। इस कारण गांव वाले किसी भी कीमत पर वैक्सीनेशन… Continue reading मंहगाई या कोरोना?? ग्रामीणों के लिए क्या है असली समस्या
ऐसे में इस तमाशे का क्या मतलब है कि कीमत बाजार के हवाले है? सरकार जब चाहे तब कीमतों की समीक्षा रूकवा सकती है इसका सीधा मतलब है कि कीमतें अब भी सरकार के नियंत्रण में हैं।