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  • PM-KISAN: मोदी सरकार जल्द जारी करेगी 10वीं किस्त, जानिए कौन से किसान परिवार पैसा पाने के पात्र हैं

    नई दिल्ली: प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) की 10वीं किस्त 15 दिसंबर को आने की संभावना है, जैसा कि मीडिया में व्यापक रूप से बताया जा रहा है। 2019 में पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना का उद्देश्य देश भर के सभी भूमिधारक किसान परिवारों को कृषि योग्य भूमि के साथ आय सहायता प्रदान करना है, जो कुछ बहिष्करणों के अधीन है। योजना के तहत, 6000 रुपये प्रति वर्ष की राशि लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे 2000 रुपये की तीन 4-मासिक किश्तों में जारी की जाती है। अब, पीएम-किसान योजना की 10वीं...

  • 7वां वेतन आयोग ताजा अपडेट, केंद्र सरकार के कर्मचारियों को मोदी सरकार का नया साल का तोहफा, HRA पर बड़ा फैसला संभव

    नई दिल्ली: केंद्र सरकार के कर्मचारियों को इस नए साल में एक और अच्छा मौका मिल सकता है। समाचार रिपोर्टों के अनुसार नरेंद्र मोदी सरकार जनवरी 2022 की शुरुआत में हाउस रेंट अलाउंस (HRA) में बढ़ोतरी की घोषणा कर सकती है। पिछले हफ्ते जागरण डॉट कॉम द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार वित्त मंत्रालय ने पहले ही केंद्र सरकार के कर्मचारियों के एचआरए को बढ़ाने की योजना शुरू कर दी है। (7th pay commission ) also read: भारत में बिटकॉइन बैन, जानिए क्रिप्टोकरेंसी पर आरबीआई और केंद्र सरकार का रुख 11.56 लाख से अधिक कर्मचारियों को लाभ होने की उम्मीद इस...

  • हमारी शर्म, घाटी के लावारिस मंदिर!

    सत्य कटु है और उसे देखना है तो अमरनाथ यात्रा की छड़ी मुबारक के एक ठिकाने बिजिवारा में विजेश्वर के उस लावारिस मंदिर को जा कर देखें, जहां बड़ी अरघा में 11 छोटे-छोटे शिवलिंगों का झेलम किनारे महाशिवालय है। या झेलम के उद्गम स्थल वैरीनाग के पुरातत्व सरंक्षण के उस भव्य देवस्थान को देखें, जिसके आलों पर लोहे के दरवाजों के बावजूद शिवलिंग या तो गायब है या जो है भी वह उफ!...या श्रीनगर में बागात के पास चौतरफा मुस्लिम कब्जे के बीच कूड़े-कचरे के ढेर में जला हुआ-खंडहर रघुनाथ मंदिर को जा कर देखें तो शर्म, वेदना.....! क्या मैं...

  • विरोध के अधिकार के बिना अधूरा लोकतंत्र

    केंद्र सरकार के बनाए तीन कृषि कानूनों के विरोध में 10 महीने से अधिक समय से चल रहा आंदोलन अब इस मुकाम पर है कि उसके बहाने विरोध करने के लोकतांत्रिक अधिकार की परीक्षा होगी। इस बात पर विचार हो रहा है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नागरिकों के विरोध करने का अधिकार संपूर्ण अधिकार है या नहीं! सर्वोच्च अदालत इस सवाल पर विचार करेगी। हालांकि सर्वोच्च अदालत के पिछले चीफ जस्टिस एसए बोबडे की बेंच ने 17 दिसंबर 2020 को किसानों के आंदोलन के मसले पर सुनवाई करते हुए कहा था कि किसानों को तब तक अपना...

  • ई-कॉमर्स को नियंत्रित करें, खत्म नहीं

    मनमोहन सिंह ने बतौर वित्त मंत्री 1991 में जब अपना पहला बजट पेश किया था तब उन्होंने विक्टर ह्यूगो की बेहद चर्चित यह लाइन उद्धृत की थी कि ‘दुनिया की कोई ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती, जिसका समय आ गया हो’। मनमोहन सिंह ने इस लाइन के जरिए आर्थिक उदारीकरण के फैसलों का बचाव किया था और कहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए यह विचार अपरिहार्य हो गया है। हालांकि ऐतिहासिक कारणों से अपरिहार्य हो चुके किसी विचार को अमल में लाने वाला राजनेता बहुत अहम नहीं रह जाता है। फिर भी देश में...

  • आंदोलन को कुचलना है

    मनमोहन सिंह ने बतौर वित्त मंत्री 1991 में जब अपना पहला बजट पेश किया था तब उन्होंने विक्टर ह्यूगो की बेहद चर्चित यह लाइन उद्धृत की थी कि ‘दुनिया की कोई ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती, जिसका समय आ गया हो’। मनमोहन सिंह ने इस लाइन के जरिए आर्थिक उदारीकरण के फैसलों का बचाव किया था और कहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए यह विचार अपरिहार्य हो गया है। हालांकि ऐतिहासिक कारणों से अपरिहार्य हो चुके किसी विचार को अमल में लाने वाला राजनेता बहुत अहम नहीं रह जाता है। फिर भी देश में...

  • पेट्रेलियम कंपनियों का अहसान और झूठ

    मनमोहन सिंह ने बतौर वित्त मंत्री 1991 में जब अपना पहला बजट पेश किया था तब उन्होंने विक्टर ह्यूगो की बेहद चर्चित यह लाइन उद्धृत की थी कि ‘दुनिया की कोई ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती, जिसका समय आ गया हो’। मनमोहन सिंह ने इस लाइन के जरिए आर्थिक उदारीकरण के फैसलों का बचाव किया था और कहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए यह विचार अपरिहार्य हो गया है। हालांकि ऐतिहासिक कारणों से अपरिहार्य हो चुके किसी विचार को अमल में लाने वाला राजनेता बहुत अहम नहीं रह जाता है। फिर भी देश में...

  • पारदर्शी सर्वे से ही जान सकेंगे देश की सच्चाई

    मनमोहन सिंह ने बतौर वित्त मंत्री 1991 में जब अपना पहला बजट पेश किया था तब उन्होंने विक्टर ह्यूगो की बेहद चर्चित यह लाइन उद्धृत की थी कि ‘दुनिया की कोई ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती, जिसका समय आ गया हो’। मनमोहन सिंह ने इस लाइन के जरिए आर्थिक उदारीकरण के फैसलों का बचाव किया था और कहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए यह विचार अपरिहार्य हो गया है। हालांकि ऐतिहासिक कारणों से अपरिहार्य हो चुके किसी विचार को अमल में लाने वाला राजनेता बहुत अहम नहीं रह जाता है। फिर भी देश में...

  • तो पीड़ित क्या करें?

    मनमोहन सिंह ने बतौर वित्त मंत्री 1991 में जब अपना पहला बजट पेश किया था तब उन्होंने विक्टर ह्यूगो की बेहद चर्चित यह लाइन उद्धृत की थी कि ‘दुनिया की कोई ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती, जिसका समय आ गया हो’। मनमोहन सिंह ने इस लाइन के जरिए आर्थिक उदारीकरण के फैसलों का बचाव किया था और कहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए यह विचार अपरिहार्य हो गया है। हालांकि ऐतिहासिक कारणों से अपरिहार्य हो चुके किसी विचार को अमल में लाने वाला राजनेता बहुत अहम नहीं रह जाता है। फिर भी देश में...

  • विदेश नीति पर नए सुझाव

    मनमोहन सिंह ने बतौर वित्त मंत्री 1991 में जब अपना पहला बजट पेश किया था तब उन्होंने विक्टर ह्यूगो की बेहद चर्चित यह लाइन उद्धृत की थी कि ‘दुनिया की कोई ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती, जिसका समय आ गया हो’। मनमोहन सिंह ने इस लाइन के जरिए आर्थिक उदारीकरण के फैसलों का बचाव किया था और कहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए यह विचार अपरिहार्य हो गया है। हालांकि ऐतिहासिक कारणों से अपरिहार्य हो चुके किसी विचार को अमल में लाने वाला राजनेता बहुत अहम नहीं रह जाता है। फिर भी देश में...

  • विपक्ष में कांग्रेस जैसी ही थी भाजपा

    मनमोहन सिंह ने बतौर वित्त मंत्री 1991 में जब अपना पहला बजट पेश किया था तब उन्होंने विक्टर ह्यूगो की बेहद चर्चित यह लाइन उद्धृत की थी कि ‘दुनिया की कोई ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती, जिसका समय आ गया हो’। मनमोहन सिंह ने इस लाइन के जरिए आर्थिक उदारीकरण के फैसलों का बचाव किया था और कहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए यह विचार अपरिहार्य हो गया है। हालांकि ऐतिहासिक कारणों से अपरिहार्य हो चुके किसी विचार को अमल में लाने वाला राजनेता बहुत अहम नहीं रह जाता है। फिर भी देश में...

  • गुजरात जाने वाले फंड में 350 फीसदी का इजाफा

    मनमोहन सिंह ने बतौर वित्त मंत्री 1991 में जब अपना पहला बजट पेश किया था तब उन्होंने विक्टर ह्यूगो की बेहद चर्चित यह लाइन उद्धृत की थी कि ‘दुनिया की कोई ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती, जिसका समय आ गया हो’। मनमोहन सिंह ने इस लाइन के जरिए आर्थिक उदारीकरण के फैसलों का बचाव किया था और कहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए यह विचार अपरिहार्य हो गया है। हालांकि ऐतिहासिक कारणों से अपरिहार्य हो चुके किसी विचार को अमल में लाने वाला राजनेता बहुत अहम नहीं रह जाता है। फिर भी देश में...

  • चीन ने अब उत्तराखंड सीमा में घुस कर मचाया उत्पात, राहुल गांधी ने ट्वीट कर मोदी सरकार पर किया हमला…

    मनमोहन सिंह ने बतौर वित्त मंत्री 1991 में जब अपना पहला बजट पेश किया था तब उन्होंने विक्टर ह्यूगो की बेहद चर्चित यह लाइन उद्धृत की थी कि ‘दुनिया की कोई ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती, जिसका समय आ गया हो’। मनमोहन सिंह ने इस लाइन के जरिए आर्थिक उदारीकरण के फैसलों का बचाव किया था और कहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए यह विचार अपरिहार्य हो गया है। हालांकि ऐतिहासिक कारणों से अपरिहार्य हो चुके किसी विचार को अमल में लाने वाला राजनेता बहुत अहम नहीं रह जाता है। फिर भी देश में...

  • इलाज-पत्र की नई पहल

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  • किसान आंदोलन का दम

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  • सचमुच जैसा भारत में हुआ वैसा कहीं नहीं हुआ!

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  • अमेजन की आलोचना क्या सरकार पर सवाल है?

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  • गांधी जयंती पर मोदी सरकार मंत्रालयों में लंबित जन शिकायतों के निपटान के लिए अभियान शुरू करेगी

    मनमोहन सिंह ने बतौर वित्त मंत्री 1991 में जब अपना पहला बजट पेश किया था तब उन्होंने विक्टर ह्यूगो की बेहद चर्चित यह लाइन उद्धृत की थी कि ‘दुनिया की कोई ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती, जिसका समय आ गया हो’। मनमोहन सिंह ने इस लाइन के जरिए आर्थिक उदारीकरण के फैसलों का बचाव किया था और कहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए यह विचार अपरिहार्य हो गया है। हालांकि ऐतिहासिक कारणों से अपरिहार्य हो चुके किसी विचार को अमल में लाने वाला राजनेता बहुत अहम नहीं रह जाता है। फिर भी देश में...

  • अजी छोड़िए ! सवाल तो ये है कि 130 करोड़ में से 80 करोड़ लोग राशन खरीद क्यों नहीं पा रहे हैं…

    मनमोहन सिंह ने बतौर वित्त मंत्री 1991 में जब अपना पहला बजट पेश किया था तब उन्होंने विक्टर ह्यूगो की बेहद चर्चित यह लाइन उद्धृत की थी कि ‘दुनिया की कोई ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती, जिसका समय आ गया हो’। मनमोहन सिंह ने इस लाइन के जरिए आर्थिक उदारीकरण के फैसलों का बचाव किया था और कहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए यह विचार अपरिहार्य हो गया है। हालांकि ऐतिहासिक कारणों से अपरिहार्य हो चुके किसी विचार को अमल में लाने वाला राजनेता बहुत अहम नहीं रह जाता है। फिर भी देश में...

  • जीएसटी कौंसिल में बड़े फैसले संभव

    मनमोहन सिंह ने बतौर वित्त मंत्री 1991 में जब अपना पहला बजट पेश किया था तब उन्होंने विक्टर ह्यूगो की बेहद चर्चित यह लाइन उद्धृत की थी कि ‘दुनिया की कोई ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती, जिसका समय आ गया हो’। मनमोहन सिंह ने इस लाइन के जरिए आर्थिक उदारीकरण के फैसलों का बचाव किया था और कहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए यह विचार अपरिहार्य हो गया है। हालांकि ऐतिहासिक कारणों से अपरिहार्य हो चुके किसी विचार को अमल में लाने वाला राजनेता बहुत अहम नहीं रह जाता है। फिर भी देश में...

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