भाजपा-कांग्रेस की जात राजनीति का फर्क
यह सही है कि हिंदी पट्टी के तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में जाति का मुद्दा बहुत प्रभावी नहीं रहा फिर भी यही वह मुद्दा है, जो भाजपा के लिए गले की हड्डी है। अगले लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन के एकजुट हो जाने और हर सीट पर विपक्ष का एक उम्मीदवार उतारे जाने की रणनीति से भाजपा जितनी चिंता में नहीं है उससे ज्यादा चिंता में वह जाति गणना और आरक्षण की राजनीति को लेकर है। इसी को साधने के लिए उसने तीनों राज्यों में नए प्रयोग किए हैं। भाजपा ने पहली बार तीनों राज्यों में दो दो उप...