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  • आजादी का व्यापार

    शरीरिक संरचना पर कटाक्ष, लिंग भेदी, जातीय एवं सांप्रदायिक सोच, और वर्गीय भेदभाव से प्रेरित पूर्वाग्रहों को व्यंग्य का विषय बनाने और अश्लीलता परोसने वाले कथित कॉमेडियन्स की एक पूरी फौज आज सोशल मीडिया पर हास्य कारोबार कर रही है। सोशल मीडिया पर हास्य के अमानवीय होते गए रूप पर सुप्रीम कोर्ट ने उचित दखल दिया है। भारतीय संविधान में अभिव्यक्ति की आजादी मौलिक अधिकार है, लेकिन अधिकार एवं स्वतंत्रता की अवधारणाओं में यह अंतर्निहित माना जाता है कि उनका इस्तेमाल मानव समाज को बेहतर एवं उत्तरोत्तर सभ्य बनाने के लिए किया जाए। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि सोशल मीडिया- और...