Dalit politics

  • दलित राजनीति मोदी के दरवाजे

    उत्तर और पश्चिम भारत की दलित राजनीति आमतौर पर हिंदुत्ववादी ताकतों के साथ जुड़ी रही है। जहां कुछ नेताओं ने स्वतंत्र राजनीति की उनमें से भी ज्यादातर का अंत मुकाम हिंदुवादी पार्टियां ही रहीं। चाहे वह भाजपा हो या महाराष्ट्र में शिव सेना हो। इस लिहाज से देखें तो इस बार का लोकसभा चुनाव स्वतंत्र दलित राजनीति के पूरी तरह से समाप्त हो जाने या भाजपा के साथ मिल जाने का है। कह सकते हैं पूरी दलित राजनीति प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से नरेंद्र मोदी के दरवाजे पहुंच गई है। सारे दलित नेता या तो भाजपा के तालमेल किए हुए...

  • दलित राजनीति में दो नए चेहरे

    उत्तर प्रदेश के फायरब्रांड दलित नेता चंद्रशेखर आजाद राज्य के बाहर दांव आजमा रहे हैं। उनकी आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) राजस्थान में चुनाव लड़ रही है। उन्होंने प्रदेश के जाट नेता हनुमान बेनिवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से तालमेल किया है। राजस्थान में बहुजन समाज पार्टी का अच्छा खासा आधार रहा है और पिछली बार उसके छह विधायक जीते थे, जो बाद में कांग्रेस में चले गए। इस बार भी बसपा अकेले चुनाव लड़ रही है। अगर उसके मुकाबले चंद्रशेखर आजाद की पार्टी को कुछ कामयाबी मिलती है तो उनकी पार्टी स्थापित होगी और अगले लोकसभा चुनाव के लिए वे...