debt

  • बचत से कर्ज की ओर बढ़ रहा है भारत

    भारत के प्राचीन दर्शन में कर्ज लेकर घी पीने की सलाह देने वाले ऋषि भी हुए हैं। कर्ज की मय पीकर फाकामस्ती के रंग लाने की उम्मीद पालने वाले शायर भी हुए। लेकिन भारत के लोगों ने कभी भी कर्ज लेकर घी या मय पीने को जीवन का सिद्धांत नहीं बनाया। इसकी बजाय भारत मितव्ययिता को जीवन का सार मानने वाला देश रहा। लघु बचत के मामले में भारतीयों का जवाब नहीं है। तभी जब 2008 में दुनिया भर में मंदी आई, जिसे अमेरिका के सब प्राइम क्राइसिस के नाम से जाना जाता है तो भारत पर उसका कोई असर...

  • रिपोर्ट अनेक, संकेत एक

    Economy crisis: देहाती इलाकों में कर्ज के बोझ तले दबे परिवारों की संख्या में साढ़े चार प्रतिशत इजाफा हुआ है। 2016-17 के सर्वे के दौरान ऐसे परिवारों की संख्या 47.40 प्रतिशत थी, जो ताजा सर्वे के समय 52 फीसदी हो चुकी थी। also read: KKR की बागडोर अब श्रेयस अय्यर की जगह इस खिलाड़ी के हाथ में…नहीं होगा यकीन श्रमिक वर्ग की बढ़ती रही दुर्दशा एक और सरकारी संस्था की रिपोर्ट ने श्रमिक वर्ग की बढ़ती रही दुर्दशा पर रोशनी डाली है। राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण बैंक (नाबार्ड) के अखिल भारतीय ग्रामीण वित्तीय समावेशन सर्वे (एनएएफआईएस) 2021-22 के दौरान पाया गया...