अब तो बहस छिड़े
लोकतंत्र में विचार जताने की आजादी पर कोई तलवार नहीं लटकनी चाहिए। अधिक से अधिक यह हो सकता है कि मानहानि दीवानी श्रेणी का अपराध रहे, हालांकि इसके तहत भी प्रतीकात्मक दंड का प्रावधान ही होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के यह टिप्पणी स्वागतयोग्य है कि मानहानि को अपराध की श्रेणी से हटाने का समय आ गया है। जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने ये बात कही। जेएनयू की एक पूर्व प्रोफेसर द्वारा एक वेबसाइट के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि मामले की सुनवाई के दौरान उन्होंने ये टिप्पणी की। बचाव पक्ष ने इस दौरान जिन मामलों...