देसी दवाएः वाजिब सवाल
आशंका यह है कि उन दवाओं से लाभ की जगह कुछ हानि हो जाए। यह सबक दुनिया भर के लिए है। पारंपरिक दवाओं को लोगों के विवेक पर छोड़ देना चाहिए, जबकि स्वास्थ्य नीति आधुनिक विज्ञान पर ही आधारित होनी चाहिए। पारंपरिक चिकित्सा हर सभ्यता का हिस्सा रही है। जब तक आधुनिक विज्ञान का अस्तित्व सामने नहीं आया था, हर जगह लोग ऐसी दवाओँ से अपना इलाज करते थे। यह नहीं कहा जा सकता कि आज के दौर में उन दवाओं की अहमियत खत्म हो गई है या उनकी कोई जरूरत नहीं है। इसके बावजूद उचित यही होगा कि लोग...