dictatorship

  • तानाशाही में म्यांमार हर तरह से बरबाद!

    myanmar dictatorship: चार सालों से म्यांमार अनिश्चितता के भंवर में फंसा हुआ है। वहां आज कोई जीतता दिखता है तो कल किसी और का पलड़ा भारी लगता है। बगावत के झंडाबरदारों - जिनमें सैकड़ों गुट शामिल हैं और जिनमें से कईयों के परस्पर विरोधी लक्ष्य हैं - ने कई मोर्चों पर सेना पर जीत हासिल की है। दो दिन पहले देश की सीमा के निकट सेंगियांग क्षेत्र में म्यांमार की सेना और विद्रोही बलों के बीच जबरदस्त जंग शुरू हुई। यह इलाका मणिपुर के केमजांग जिले के पास है। इस लड़ाई के चलते 3,000 से अधिक नागरिकों को अपने घरों...

  • उथलपुथल का नया इतिहास!

    वह 1989 का साल था। यूरोप में कम्युनिज्म पतन की राह पर था। तभी फ्रांसिस फुकुयामा का एक विचारोत्तेजक लेख प्रकाशित हुआ। उसका शीर्षक था ‘द एंड ऑफ हिस्ट्री’ (इतिहास का अंत)। लेखक का दावा था कि बीसवीं सदी में लोकतंत्र ने अधिनायकवादी प्रवृत्तियों को परास्त कर दिया है, यह मानव जाति के वैचारिक विकास का चरम बिंदु है और यह भी कि पश्चिमी उदारवादी लोकतान्त्रिक मूल्यों पर आधारित शासन व्यवस्था अब पूरी दुनिया में स्थापित हो जाएगी। उनका यह दावा और नजरिया, उस समय के घटनाक्रम में प्रतिबिंबित भी हो रहा था। वैसा ही कुछ होता हुआ लगता था।...