Electoral bonds transparency

  • चुनावी चंदे की पारदर्शी व्यवस्था बने

    चुनावी बॉन्ड को लेकर पिछले छह-सात साल में जितनी बहस हुई है और चंदे की इस व्यवस्था पर जितने सवाल उठे हैं उन्हें देखते हुए अब केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को खुले दिल से स्वीकार कर लेना चाहिए। इसे प्रतिष्ठा का सवाल बना कर संसद के जरिए इसे बदलने का वैसा प्रयास नहीं किया जाना चाहिए, जैसा चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के मामले में किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड के जरिए चंदे की पूरी व्यवस्था को असंवैधानिक करार दिया है और इस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। इतना ही नहीं सरकार ने...