freedom

  • ‘फ्रेंकनस्टेट’ में नतमस्तक मीडिया

    यदि आप इस फ्रेंकनस्टाइन या दानव के पास एक चेकलिस्ट लेकर जाएंगे तो वह किसी टेस्ट में फेल नहीं होगा। लोकतंत्र जिंदा मिलेगा। क्या चुनाव होते हैं? हां, बिलकुल होते हैं। क्या संसदीय व्यवस्था लागू है? हां, बिलकुल है। पर समस्या संयोजनों (combinations)में है। चुनाव तो स्वतंत्र हैं परंतु उन्हें लड़ने में पार्टियां असमर्थ है। संसद है मगर बहस नहीं, विपक्ष, मीडिया, आडिट एजेंसियां, ओमबड्समेन, पारदर्शिता नहीं। कुल मिलाकर फ्रेंकनस्टेट वह है जो दिखलाई देगा प्रजातांत्रिक परंतु उसमें प्रजातांत्रिक संस्थाओं के हिस्सों का ऐसा संयोजन होगा कि वह दरअसल गैर-प्रजातांत्रिक बनामनमाना शासन करते हुए होगा। प्रेस को प्रजातंत्र का चौथा...

  • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अतिरिक्त प्रतिबंध नहीं

    नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने मंगलवार को कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19(2) के तहत निर्धारित प्रतिबंधों (restriction) के अलावा कोई भी अतिरिक्त प्रतिबंध किसी नागरिक के अभिव्यक्ति (expression) की स्वतंत्रता (Freedom) के अधिकार पर नहीं लगाया जा सकता है। 19(2) संपूर्ण हैं। न्यायमूर्ति एस.ए. नजीर की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ में न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, ए.एस. बोपन्ना, वी. रामासुब्रमण्यम और बी.वी. नागरत्ना शामिल थे। हालांकि न्यायमूर्ति नागरत्ना ने अलग निर्णय दिया। न्यायमूर्ति रामासुब्रमण्यन ने बहुमत का फैसला सुनाते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19 (2) के तहत उल्लिखित प्रतिबंधों को छोड़कर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर...