freedom

  • हंसी पर ताला, गुस्से को आज़ादी!

    कॉमेडी, मजाक जब खामोश हो जाए तो क्या होगा? खासकर यदि सार्वजनिक जीवन से हास्य को कोड़ा मारकर बेदखल कर दिया जाए, तब?  सबकुछ  नीरसता, उदासीनता में ढलेगा।  न विवेकशील रहेंगे और न कल्पनाशक्ति में जिंदादिलह। तब गुस्सा छोटा होता जाता है और हवा भारी। तब हर असहमति गुस्से में बदलती है। हम सत्ता पर हंसना बंद कर देते हैं। उसकी बजाय एक-दूसरे पर गुर्राने लगते हैं। दाँत नुकीले हो जाते हैं, नाखून पंजे में बदल जाते हैं, और सत्ता पर हंसने के बजाय हम एक-दूसरे को नोचने लगते हैं। भारत का लोकतंत्र आज ऐसे घर में बदला हुआ है,...

  • नागरिकों को खुद बचानी है अपनी आजादी

    लोकतंत्र और आजादी सुनिश्चित करने के तमाम आधुनिक उपकरणों, जैसे संविधान आधारित शासन व्यवस्था, न्यायपालिका, मीडिया, तकनीक, नागरिक समाज आदि ने सचमुच लोकतंत्र और आजादी की रक्षा की है या इनके उत्तरोत्तर क्षरण का रास्ता बनाया है? यह एक जटिल सवाल है। एक समय 18वीं सदी के मध्य में महान दार्शनिक ज्यां जॉक रूसो के सामने सवाल था कि आधुनिक विज्ञान और कलाओं ने मनुष्य को बेहतर बनाया है या नैतिक रूप से भ्रष्ट बनाया है? रूसो का जवाब था कि आधुनिक कला और विज्ञान ने मनुष्य को नैतिक रूप से भ्रष्ट बनाया है। रूसो के निष्कर्ष के पौने तीन...