अभिव्यक्ति की रक्षा अदालतों के हवाले!
अभिव्यक्ति की आजादी को लोकतंत्र की प्राथमिक शर्त के तौर पर स्वीकार किया गया है। लेकिन यह भी हकीकत है कि आजादी मिलने और लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था स्थापित होने के बाद भी भारत में पहले दिन से अभिव्यक्ति की आजादी खतरे में रही है। देश में लोकतंत्र की बुनियाद रखने और उसे मजबूत करने का श्रेय पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को जाता है। लेकिन उनकी सरकार ने ही संविधान अपनाए जाने के एक साल के भीतर जो पहला संशोधन किया वह वाक व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध या शर्तें लगाने के लिए था। उनकी सरकार ने 1951 में...