Hunger

  • इक्कीसवीं सदी में अकाल, भूख!

    हम असाधारण समय में जी रहे हैं। इक्कीसवीं सदी में कैसी सुर्ख़ियां पढ़ने को मिल रही है। बात दो टूक है।   साफ कहां जा रहा है कि “ग़ाज़ा में अकाल घोषित हो चुका है। क्या कुछ बदलेगा?” सवाल पूछे जाने से पहले ही जवाब तय था: नहीं। और यही समय की असाधारणता याकि असाधारण क्रूरता है। अकाल, भूखमरी अतीत की आम बात थी। असफल मानसून, टिड्डियों के हमले, या खेतों के उजड़ जाने से ऐसे हालात बनते थे। पर आधुनिकता ने, इक्कीसवीं सदी नया रूप दे रही है। मनुष्य के हाथों से, नाकेबंदी-दर- नाकेबंदी और घेराबंदी-दर-घेराबंदी से भूखमरी की नौबत!...