संवैधानिक मान्यता से अब तक वंचित भाषाएं
भारत में आठवीं अनुसूची से शामिल होने से वंचित भोजपुरी, राजस्थानी, छत्तीसगढ़ी जैसी भाषाओं में लोग राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय का लाभ लेने से वंचित हैं। भाषायी आधार पर यह भेदभाव ठीक नहीं है।...राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने कहा था- प्रत्येक के लिए अपनी मातृभाषा और सबके लिए हिंदी। लेकिन यह अब तक हो नहीं सका है।देश की ऐसी ही मातृभाषा भोजपुरी है, जो आजादी के अमृतकाल में संवैधानिक मान्यता से वंचित है। अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस, 21 फरवरी पर विशेष प्रत्येक मातृभाषा का सम्मान होना चाहिए, यही सह अस्तित्व का सिद्धांत है। भारत की परंपरा इस मामले में बड़ी समृद्ध व उदार...