सीज़र की पत्नी
लोकतंत्र में न्यायपालिका ही वह संस्था है, जिससे लोग संविधान, कानून और पूरी व्यवस्था की रक्षा की उम्मीद रखते हैँ। मगर लगता नहीं कि फिलहाल भारतीय न्यायपालिका सर्व-साधारण की पारदर्शिता संबंधी अपेक्षा का ख्याल कर रही है। सीज़र की पत्नी को हर तरह के संदेह से ऊपर होना चाहिए। यानी परिजनों समेत राजा को ऐसी कोई धारणा नहीं बनने देनी चाहिए, जिससे उनकी साख पर आंच आए। लोकतांत्रिक युग में ये कहावत अक्सर न्यायपालिका के लिए दोहराई जाती है। इसलिए कि लोकतंत्र में न्यायपालिका ही वह संस्था है, जिससे लोग संविधान, कानून और पूरी व्यवस्था की रक्षा की उम्मीद रखते...