केन-बेतवा का सबक
पचपन साल पहले केन-बेतवा परियोजना की परिकल्पना की गई थी। मगर आज भी बुंदेलखंड के लोग पानी किल्लत झेल रहे हैं। अभी कई और वर्ष उन्हें इंतजार करना होगा। क्या इतनी लेटलतीफी किसी ऐसे देश में हो सकती है, जो विकसित हुआ हो? केन-बेतवा परियोजना इसकी मिसाल है कि विकास के पैमानों पर भारत क्यों अपनी संभावनाओं को हासिल नहीं कर पाया। ध्यान दीजिएः परियोजना की परिकल्पना सबसे 1970 में की गई, जब मशहूर इंजीनियर एवं तत्कालीन सिंचाई मंत्री डॉ. केएल राव ने पानी की किल्लत वाले इलाकों में पानी पहुंचाने के मकसद से इन दोनों नदियों को जोड़ने का...