liberal democracy

  • उथलपुथल का नया इतिहास!

    वह 1989 का साल था। यूरोप में कम्युनिज्म पतन की राह पर था। तभी फ्रांसिस फुकुयामा का एक विचारोत्तेजक लेख प्रकाशित हुआ। उसका शीर्षक था ‘द एंड ऑफ हिस्ट्री’ (इतिहास का अंत)। लेखक का दावा था कि बीसवीं सदी में लोकतंत्र ने अधिनायकवादी प्रवृत्तियों को परास्त कर दिया है, यह मानव जाति के वैचारिक विकास का चरम बिंदु है और यह भी कि पश्चिमी उदारवादी लोकतान्त्रिक मूल्यों पर आधारित शासन व्यवस्था अब पूरी दुनिया में स्थापित हो जाएगी। उनका यह दावा और नजरिया, उस समय के घटनाक्रम में प्रतिबिंबित भी हो रहा था। वैसा ही कुछ होता हुआ लगता था।...