Madurai

  • मदुरै में लेफ्ट की दुविधा

    लेफ्ट पार्टियों के लिए अगला एक साल करो या मरो का साल है। उसे अगले साल मई में केरल की अपनी सत्ता बचानी है। पश्चिम बंगाल से लेफ्ट मोर्चा का डेरा डंडा उखड़ चुका है और त्रिपुरा में भी मानिक सरकार व कुछ अन्य नेताओं की वजह से लेफ्ट की सांस चल रही है। हालांकि वहां भी वह आईसीयू में ही है। बाकी सभी राज्यों में भी, जहां सीपीएम, सीपीआई, सीपीआई एमएल, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी या फॉरवर्ड ब्लॉक की आंशिक उपस्थिति थी वहां से भी ये पार्टियां लगभग सिमट गई हैं। बिहार में राजद व कांग्रेस के साथ एलायंस में...

  • चेहरे नए, रास्ता पुराना

    सीपीएम के नए महासचिव ने अपनी प्राथमिकताओं का जो क्रम बताया है, उसे समस्याग्रस्त माना जाएगा। इससे संकेत मिलता है कि पार्टी श्रमिक वर्गों के संगठन और संघर्ष के ऊपर चुनावी राजनीति के तकाजों को सर्वोच्च प्राथमिकता देना आगे भी जारी रखेगी। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने तकरीबन दो दशक से ज्यादा समय बाद ऐसे चेहरे तो महासचिव चुना है, जो अकादमिक पृष्ठभूमि के नहीं हैं और जिनका कार्यक्षेत्र राष्ट्रीय राजधानी नहीं रहा है। एमए बेबी केरल की राजनीतिक धूल-धक्कड़ से उभरे नेता हैं। उनके अलावा आठ नए चेहरे पॉलितब्यूरो और 30 नए नाम सेंट्रल कमेटी में शामिल हुए हैं। यह...