बाढ़ में डूबे तब भी ट्रोल के लिए राहुल!
इस साल का मानसून कोई मौसम नहीं बल्कि एक रहस्योद्घाटन है। भविष्य की भयावह चेतावनी है। बादलों के फटने और डूबते शहरों में लिखी वह सच्चाई है जिसे देश को लगातार झेलना होगा। अभी समय है या जलवायु परिवर्तन के खतरे दूर है जैसे सभी भ्रम बह गए है। बाढ़ इबारत लिख रही है कि जीना तय नहीं है और संकट भरा भविष्य पहले ही आ चुका है। बावजूद इसके देश भर के नैरेटिव, सुर्खियों के होहल्ले पर गौर करे तो हकीकत दबी हुई है। जो राज कर रहे है उनका ध्यान जलवायु परिवर्तन पर है ही नहीं। वह आदत...