Migrant worker
कोरोना वायरस की वजह से मजदूरों के पलायन का मुद्दा भी भाजपा और जनता दल यू के बीच टकराव का एक मुद्दा रहा है।
भारत में सब कुछ बहुत धीरे धीरे और ठहरे हुए अंदाज में होता है। कोरोना वायरस के मामले में भी ऐसा ही हो रहा है। भारत में वायरस देर से आया और धीरे धीरे आया। वायरस फैल भी धीरे धीरे रहा है। सरकार ने मेडिकल सुविधाएं भी मंथर गति से ही जुटाईं।
कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए देश भर में लागू लॉकडाउन के दौरान ठहर गए ट्रेन के पहिए एक बार फिर दौड़ने लगेंगे। देश भर में कोरोना का संक्रमण बढ़ने के बीच एक जून से दो सौ और ट्रेनें चलने लगेंगी।
कोरोना वायरस का संकट शुरू होने के बाद से ही चल रहे मजदूरों के पलायन और विस्थापन के दो महीने बाद अब जाकर सुप्रीम कोर्ट ने उनके लिए राहत का फैसला सुनाया है।
देश के अलग अलग हिस्सों से अपने राज्य को लौट रहे मजदूरों को लेकर बहुत कुछ कहा-सुना गया है और अब सरकार ट्रेनों से उन्हें पहुंचा रही है। पर अब अलग तरह का संकट खड़ा हो गया है।
दिल्ली और देश के दूसरे हिस्सों से पैदल चल कर अपने घर जा रहे मजदूरों के मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने कुछ समय पहले कहा था कि लोगों को घर जाने से रोका नहीं जा सकता है।
उत्तरप्रदेश सरकार ने प्रवासी मजदूरों के लिए कुछ ऐसी घोषणाएं की हैं, जो अगर लागू हो गईं तो अपने गांव वापस लौटे मजदूरों का काफी भला हो जाएगा लेकिन उसका दूसरा पहलू यह भी है कि वे अगर शहरों की तरफ वापस नहीं लौटे तो भारत के उद्योग-धंधे ठप्प हो सकते हैं।
प्रवासी मजदूर लाखों की संख्या में अपने गांव लौट चुके हैं। इससे अपने घर पहुंच जाने का मनौवैज्ञानिक संतोष उन्हें जरूर मिला हो, मगर वहां उन्हें कई तरह की गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
रेल मंत्रालय ने बताया है कि मजदूरों को उनके गृह राज्य पहुंचाने के लिए अगले दस दिन में 26 सौ ट्रेनें चलाएगी। भारतीय रेलवे ने श्रमिक स्पेशल और दूसरी स्पेशल ट्रेनों के बारे में शनिवार को स्थिति स्पष्ट की।
मानो सब कुछ खाक! सुनीता को बूझ नहीं रहा कि वह कहां है, चारों ओर क्या है!उसे तो बस बिहार लौटना है अपने दिवंगत हो चुके पति के पास। उसकी सूनी-घूमती आंखों से सिर्फ और सिर्फ घर लौटने की चीख निकल रही थी।
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा दोनों के मामले में लगता है भाजपा ने सेल्फ गोल कर लिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस से लड़ने के लिए पीएम-केयर्स नाम से एक फंड बनाया है, जिसमें हजारों करोड़ रुपए का चंदा मिला है। उसके पीछे की कानूनी जटिलताओं और उसके ऑडिट आदि को लेकर चल रहे विवाद में पड़ने की जरूरत नहीं है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पहले दिन से चाहते थे कि प्रवासी मजदूर दिल्ली से चले जाएं। उनको पता था कि दिल्ली की आधी आबादी जिन बस्तियों में और जिस हालत में रहती है
कुछ दिन पहले एक पत्रकार मित्र का फोन आया। उनका कहना था कि देश मजबूरी में अपने घरों को वापस लौट रहे मजदूरो की दुर्गति को देखकर बहुत परेशान है।
कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए देश भर में लागू लॉकडाउन के बीच अपने घर लौटने के लिए परेशान प्रवासी मजदूरों ने रविवार को कई जगह हंगामा किया।